उत्तर प्रदेश

मांग को लेकर भारतीय युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओ ने युवा नेता के नेतृत्व में सैकड़ो की संख्या में सदर तहसील पर प्रदर्शन कर सौंपा राष्ट्रपति नामित ज्ञापन

मांग को लेकर भारतीय युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओ ने युवा नेता के नेतृत्व में सैकड़ो की संख्या में सदर तहसील पर प्रदर्शन कर सौंपा राष्ट्रपति नामित ज्ञापन

सोनभद्र::सत्ता और बहुमत के दम पर सदन में किसान विरोधी काला कानून के तीनो अध्यादेश को वापस लिए जाने की मांग को लेकर भारतीय युवा कांग्रेस सोनभद्र के कार्यकर्ताओ ने युवा नेता अमित चतुर्वेदी के नेतृत्व में सैकड़ो की संख्या में नारेबाजी करते हुए सदर तहसील पर प्रदर्शन कर सौंपा राष्ट्रपति नामित ज्ञापन किसान विरोधी अध्यादेश वापस न होने पर चरण बद्ध आंदोलन की दी चेतावनी..

युवा नेता अमित चतुर्वेदी ने कहा कि सरकार-: किसानों के लिए तीन कानून लेकर आ रही है जिसमें तमाम खामियां हैं तीनो के तीनो बिल्कुल किसान को खत्म कर देने वाले हैं ये तीनों अध्यादेश भारत के करोड़ों किसान परिवारों के भविष्य को बर्बाद करने वाले हैं एक तरफ सरकार व अनेक अर्थशास्त्री इस बात को मानते हैं कि कोरोनावायरस काल में सिर्फ किसानों की मेहनत/कृषि क्षेत्र के आधार पर ही देश की अर्थव्यवस्था का पहिया घूम रहा है, वहीं दूसरी तरफ केंद्र सरकार MSP पर खरीद बन्द कर के किसानों का शोषण करने में लगी हुई है अगर देखा जाए तो आज भी किसानों को C2+50% के अनुसार फसलों का MSP नहीं मिल रहा है लेकिन उसके बावजूद किसान किसी तरह अपना जीवनयापन कर रहे हैं यदि सरकार ने MSP पर खरीद को बंद कर दिया तो खेती किसानी के साथ-साथ देश की खाद्यान सुरक्षा भी बड़े संकट में फंस जाएगी इस कानूनो के जरिये आने वाले समय में केंद्र सरकार किसानों को मिलने वाले MSP को खत्म करने जा रही है। केंद्र सरकार का दावा है कि इन अध्यादेशों के किसानों को फायदा होगा लेकिन असल में किसानों को नहीं बल्कि बड़ी-बड़ी कम्पनियों को फायदा होगा क्यों कि केंद्र सरकार के ऊपर WTO का दबाव है कि किसानों को मिलने वाला MSP एवम हर प्रकार की सब्सिडी केंद्र सरकार समाप्त करे उसी दिशा में किसानों को भी उधोगपतियों कर हाथों गिरवी रखने को यह कानून लाया गया है जिसके वापस लिए जाने तक हम अपना विरोध दर्ज कराते रहेंगे..

कांग्रेस नेता धीरज पांडेय ने कहा कि अब केंद्र सरकार-कोरोनावायरस के कारण लगे लॉकडाउन का अनैतिक तरीके से फायदा उठाकर ये तीनों अध्यादेश ले के आई है जिसमे उसके सहयोगी दल ही सहमत नहीं और केंद्रीय मंत्री हरसिमरत सिंह कौर इस्तीफा दे चुकी हैं लेकिन सरकार को लगता है कि कोरोनावायरस के कारण किसान बड़े पैमाने पर इकठ्ठे हो कर प्रदर्शन नहीं कर सकते इसलिये सरकार ने यह कदम उठाया किसानों के विरोध को भांपने के लिए अब की बार मक्के व मूंग का 1 भी दाना MSP पर नहीं खरीदा गया, आगे आने वाले समय में केंद्र सरकार गेहूं व धान की MSP पर खरीद भी बन्द करने की दिशा में बढ़ रही है केंद्र सरकार जो 3 कृषि कानून ले के आई है, यहां पर गौर करने की बात यह है कि प्रशासनिक अधिकारी हमेशा सरकार के दबाव में रहते हैं और सरकार हमेशा व्यापारियों व कम्पनियों के पक्ष में खड़ी होती है क्योंकि चुनावों के समय व्यापारी एवम कम्पनियाँ राजनीतिक पार्टियों को चंदा देती हैं। न्यायालय सरकार के अधीन नहीं होते और न्याय के लिए कोर्ट में जाने का हक हर भारतीय को संविधान में दिया है, नए अध्यादेश की वजह से किसानों को न्याय मिलना बहुत मुश्किल हो जाएगा क्यों कि केंद्र सरकार ने इस बात की कोई गारंटी नहीं दी है कि प्राइवेट पैन कार्ड धारक व्यक्ति, कम्पनी या सुपर मार्किट द्वारा किसानों के माल की खरीद MSP (समर्थन मूल्य) पर होगी केंद्र सरकार के इस कानून से सबसे बड़ा खतरा यह है कि जब फसलें तैयार होंगी, उस समय बड़ी-बड़ी कम्पनियां जानबूझकर किसानों के माल का दाम गिरा देंगी एवम उसे बड़ी मात्रा में स्टोर कर लेंगी जिसे वे बाद में ऊंचे दामों पर ग्राहकों को बेचेंगी हम सभी गैर-राजनीतिक किसान संगठनों का आह्वाहन करते हैं कि अपने आपस के विरोधाभास भूला कर देश के किसानों के अस्तित्व व भविष्य को बचाने की इस लड़ाई के लिए एकजुट होना ही पडेगा।ब्लकि इन निजीकरण की नीतियो के खिलाफ खडा होना होगा नही तो आने वाली पीढिया हमे माफ नही करेगी।।

एनएसयूआई के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष् अभिषेक चौबे-: ने कहा कि नए कानून के जरिये सरकार किसानों के माल की MSP पर खरीद की अपनी ज़िम्मेदारी व जवाबदेही से बचना चाहती है। जब किसानों के समान की खरीद निश्चित स्थानों पर नहीं होगी तो सरकार इस बात को रेगुलेट नहीं कर पायेगी कि किसानों के माल की खरीद MSP पर हो रही है या नहीं APMC Act में सुधार की आवश्यकता है लेकिन उसे खारिज़ कर के किसानों के माल खरीदने की इस नई व्यवस्था से किसानों का शोषण बढ़ेगा भारत में 85% लघु किसान हैं, किसानों के पास लंबे समय तक भंडारण की व्यवस्था नहीं होती है यानि यह कानून बड़ी कम्पनियों द्वारा कृषि उत्पादों की कालाबाज़ारी के लिए लाया गया है, ये कम्पनियाँ एवम सुपर मार्किट अपने बड़े बड़े गोदामों में कृषि उत्पादों का भंडारण करेंगे एवम बाद में ऊंचे दामों पर ग्राहकों को बेचेंगे नए कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को बढ़ावा दिया जाएगा जिसमें बड़ी- बड़ी कम्पनियाँ खेती करेंगी एवम किसान उसमें सिर्फ मजदूरी करेंगे। इस नए अध्यादेश के तहत किसान अपनी ही जमीन पर मजदूर बन के रह जायेगा इन तीन कृषि कानूनों के खिलाफ यह आंदोलन किसानों के भविष्य व अस्तित्व को बचाने की निर्णायक लड़ाई है, सभी किसान बन्धु सरकार की इन किसान विरोधी नीतियों को समझें एवम अधिक से अधिक किसानों को जागरूक कर किसान आंदोलन खड़ा कर सरकार को यह बिल वापस लेने पर मजबूर होने के लिए एकजुटता के साथ संघर्ष का वक्त है।उक्त कार्यक्रम में..प्रमोद पांडेय दीपू, शैलेन्द्र चतुर्वेदी,आकाश वर्मा,सन्नी शुक्ला, श्रवण पांडेय,सूरज वर्मा,मो.अकरम,छोटू पांडेय,अनुराग मिश्रा,अतुल चौबे,दिलीप कुमार,गौरव गुप्ता,गुंजन श्रीवास्तव,सूर्य प्रकाश मिश्रा,रोहित समेत अन्य युवा कांग्रेस कार्यकर्ता उपस्थित रहे।।

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