उत्तर प्रदेश

राम दरबार का हुआ भव्य श्रृंगार

राम दरबार का हुआ भव्य श्रृंगार
सोनभद्र:राबर्ट्सगंज नगर के आरटीएस क्लब में चल रहे श्री रामचरितमानस नवाह पाठ के चतुर्थ दिवस के अवसर पर कार्यक्रम के संयोजक शिशु तिवारी (राकेश त्रिपाठी) ने राम दरबार का भव्य श्रृंगार किया और भगवान के वनवास झांकी का दर्शन भक्तजनों ने किया।
रामचरितमानस के दोहा और चौपाई का गायन करते हुए मुख्य आचार्य श्री सूर्यलाल मिश्र ने कहां की-” भगवान श्रीराम का बनवास ना होता तो विश्व का कल्याण न होता। ऋषियो-मुनियों, ब्राह्मणों को सताने वाले राक्षसों का नाश न होता इसका माध्यम बनी उनकी माता कैकई और कैकई को वनवास का सुझाव देने वाली दासी मंथरा थी।
चक्रवर्ती सम्राट महाराजा दशरथ को दासियों,परिचरो से यह ज्ञात हुआ कि-” महारानी कैकई के भवन में भागे- भागे राजमहल आए और उन्होंने कैकेई का कुशलक्षेम पूछा तो रानी कैकई ने ने कहा कि-
*सुनहु प्राणप्रिय भावत़जी का।
देव हूं एक बार भारतहि टीका।।
मांगहूं दूसर वर कर जोरी।
पूरहूं नाथ मनोरथ मोरी।।*
इस मार्मिक दृश्य को देखकर सुनकर उपस्थित भक्त जनों की आंखें भर आई और भी केकई और मंथरा जो भगवान श्री राम के 14 वर्ष के वनवास के लिए दोषी थी, उन्हें कटु शब्द शब्दों से संबोधित करने लगे।
यह कथा लोक में प्रचलित है और हजारों वर्ष व्यतीत हो जाने के बाद भी आज कोई भी व्यक्ति अपने पुत्री का नाम केकई और मंथरा नहीं रखता, जबकि भगवान श्री राम के हृदय में माता के कई और दासी मंथरा के प्रति अगाध प्रेम था, जिसे गोस्वामी तुलसीदास जी ने अपने ग्रंथ रामचरितमानस में उद्धृत किया है।
इस अवसर पर महामंत्री सुशील पाठक जोगीराम जैन, मिठाई लाल सोनी, संजय गुप्ता, हर्षवर्धन केसरवानी, घनश्याम सिंघल, नरेंद्र गर्ग, अरविंद पांडे, विनय अग्रवाल रमेश थरड सहित अन्य भक्तजन उपस्थित रहे और रामकथा का रसास्वादन किया।

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