ग्रामीण क्षेत्र में डॉक्टरों की कट रही चांदी, समयानुसार हॉस्पिटल पहुंचने में लगता है शर्म
*एक सप्ताह पूर्व हुए शिकायत के बावजूद भी समय से नही पहुंचते डॉक्टर*
*डॉक्टर की लापरवाही से आदिवासी मजदूर झोलाछाप डॉक्टर के पास जाने को मजबूर*
* सरकार के मंशे को डॉक्टर कर रहे बदनाम*
अनिल जायसवाल (संवाददाता)
डाला सोनभद्र – विकासखंड चोपन के ग्राम पंचायत कोटा अंतर्गत गुरमुरा में चल रहे हॉस्पिटल जहां सभी कर्मचारियों को समयानुसार 8:00 बजे तक हॉस्पिटल में पहुंच जाने हैं वही पूर्व में भी 1 सप्ताह पहले समाचार के माध्यम से अवगत कराया गया था फिर भी आज मौके पर देखा गया तो समयानुसार सिर्फ दो कर्मचारी एक सफाई कर्मी दूसरा आयुष के कर्मचारी मौजूद मिले वहीं अस्पताल के दरवाजे तो खुले मिले लेकिन डॉक्टर कंपाउंडर व अन्य कर्मचारी नदारद रहे। और कुर्सियां चीख चीख कर इंतजार कर रही थी डॉक्टर और कंपाउंडर का।
गुरमुरा स्थित हॉस्पिटल में देखा जाए तो 8:00 बजे से गर्मी के दिनों में हॉस्पिटल खोलने के आदेश जारी हैं जहां 2:00 बजे तक हॉस्पिटल खोले जाएंगे वही हमेशा की भांति 10:00 बजे से पहले गर्मी के दिनों में भी कोई भी जिम्मेदार हॉस्पिटल का समय से नहीं पहुंच पाता यह 1 दिन की हो तो बात दूसरी है अब तो 10:00 बजे आना आदत सी हो गई है
ग्रामीणों ने बताया कि अक्सर डॉक्टर 10:00 बजे के बाद ही आते हैं यदि 8:00 बजे तक समयानुसार आ जाते तो जो मरीज झोलाछाप डॉक्टरों के पास अपना धन खर्च करते हैं गरीबी में उन्हें कहीं ना कहीं से राहत मिल जाती।
ग्रामीण आदिवासी अंचलों में मरीज सरकारी हॉस्पिटल के नाम पर आना नहीं चाहते लेकिन हकीकत यह है की जिम्मेदार डॉक्टर कंपाउंडर से लेकर सभी अधिकारी यदि टाइम पर हॉस्पिटल ही नहीं पहुंचेंगे तो दोस मरीजों का कैसे। आदिवासी क्षेत्रों में स्वयं जिम्मेदार व डॉक्टर समय से हॉस्पिटल पहुंचना नहीं चाहते तो मजदूर व असहाय गरीबों का विश्वास इन जिम्मेदारों पर कैसे जूटे ।
ग्रामीणों ने जिलाधिकारी का ध्यान आकृष्ट कराया है निरीक्षण कर डॉक्टर तथा अन्य कर्मचारियों को टाइम से मौजूद होने के दिशा निर्देश दिए जाएं जिससे आदिवासी अंचलों का कोई सुनने वाला जनहित में दिखाई दे सके ।