एन सी एल खड़िया परियोजना के मुख्य महाप्रबंधक कार्यालय गेट जाम कर मजदूरों ने जताया विरोध।
सर्वे ऑफ संविदा बसों व चालक की कमी के मुद्दे पर एनसीएल खड़िया श्रमिकों का धरना।
उमेश सागर संवादाता
शक्तिनगर। एनसीएल खड़िया क्षेत्र में संविदा पर लगी वाहनों के सर्वे ऑफ, चालकों की कमी व बसों में निर्धारित संख्या से ज्यादा भीड़ व स्कूल बसों में सामाजिक दूरी की धज्जियां आदि मुद्दे पर केंद्रीय श्रमिक संगठनों के संयुक्त मोर्चा के बैनर तले परियोजना के मजदूरों ने मुख्य महाप्रबंधक कार्यालय प्रवेश द्वार पर विरोध प्रदर्शन कर धरना दिया। प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए श्रमिकों ने बताया कि संविदा पर लगे अधिकतर गाड़ियां सर्वे आफ हो चुकी हैं लेकिन संबंधित विभाग की लापरवाही के कारण ऐसी बसों का संचालन निरंतर हो रहा है और बसों में निर्धारित संख्या से ज्यादा भीड़ होने के कारण संक्रमण फैलने का खतरा बना रहता है। एनसीएल खड़िया क्षेत्र की तीन बसें चालकों की कमी के कारण शोपीस के रूप में खड़ी हैं और संविदा बसें, सर्वे ऑफ होने के बावजूद भी सेवाएं दे रही हैं।
शनिवार की सुबह ड्रग लाइन और सीएचपी के श्रमिक जैसे ही ड्यूटी जाने के लिए बसों में सवार होने लगे तो निर्धारित संख्या से ज्यादा भीड़ होने के सवाल पर श्रमिक भड़क उठे और मुख्य महाप्रबंधक कार्यालय पर नारेबाजी करते हुए धरने पर बैठ गए और श्रमिक संगठनों के प्रतिनिधियों को बुलाकर विरोध जताया। मजदूरों के धरना पर बैठने के कारण ड्रग लाइन और सीएचपी की सुबह की शिफ्ट लगभग चार घंटे बाधित रही। मौके पर पहुंचे कार्मिक अधिकारियों के मान मनौव्वल के बाद केंद्रीय श्रमिक संगठनों के संयुक्त मोर्चा ने मुख्य महाप्रबंधक से वार्ता करने पर हामी भरी।
एनसीएल खड़िया क्षेत्र मुख्य महाप्रबंधक राजीव कुमार से श्रमिक संगठन संयुक्त मोर्चा ने वार्ता के उपरांत बताया कि सर्वे आफ बसों पर उचित कार्रवाई किए जाने का आश्वासन मिला है और तत्काल रुप से खड़ी बसों के लिए चालक की व्यवस्था कराई जाएगी। श्रमिक प्रतिनिधियों ने बताया कि मुख्य महाप्रबंधक ने आश्वासन दिया है कि मजदूरों के सभी मांगों पर बैठक कर उचित निर्णय लिया जाएगा।
धरनारत मजदूरों ने दबी जुबान में नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अधिकारी वातानुकूलित गाड़ियों में वाहन भत्ता लेने के बावजूद चलते हैं और खदान में पसीना बहाने वाले मजदूर सर्वे ऑफ बसों में ठूसकर भेजे जाते हैं। सर्वे आफ बसों में अपनी जान हथेली पर रखकर श्रमिक कोयला खदानों में मजबूरन रोजी रोटी के लिए सेवाएं देने को मजबूर है। इस अवसर पर सभी मजदूर संगठनों के पदाधिकारी उपस्थित रहे।