उत्तर प्रदेशसोनभद्र

बाबा जयगुरुदेव जी के संकल्पों को पूरा करने, गुरु महिमा बताने शाकाहार-सदाचार व मद्यनिषेध का सन्देश

राकेश केशरी,

,विंढमगंज ,दुद्धी / सोनभद्र कोलिनडुबा (सोनभद्र) 27 मार्च अपने गुरु महाराज बाबा जयगुरुदेव जी के संकल्पों को पूरा करने, गुरु महिमा बताने शाकाहार-सदाचार व
मद्यनिषेध का सन्देश देने तथा अच्छे समाज के निर्माण का उद्देश्य लेकर 14 मार्च को जयगुरुदेव आश्रम मथुरा से निकले संस्था के अध्यक्ष एवं बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के उत्तराधिकारी पूज्य पंकज जी महाराज
कल सायंकाल अपने 13वें पड़ाव पर जब दुधी ब्लाक के कोलिन डुबा गांव में (नहर के पास पहुंचे तो एक
किलोमीटर पहले से ही कतारवद्ध में खड़े बच्चे-बच्चियों तथा भाई-बहनों ने पुष्पवर्षा करते हुये बैण्ड बाजे के साथ मव्य स्वागत किया। आज यहां सत्संग समारोह का अयोजन हुआ। मंच पर अवधू सिंह यादव अध्यक्ष संगत सोनभद्र, विजय शंकर यादव तह, अध्यक्ष, रामनरेश यादव ब्लाक अध्यक्ष मा. अखिलेश द्विवेदी, यदुनाथ यादव
प्रधान, दिनेश कुमार यादव प्रधान केवाल, आर. के. यादव, चन्द्रमौलि यादव तथा सहयोगी संगत प्रतापगढ़ के अध्यक्ष सूर्यबली सिंह आदि ने पुष्पहार भेंटकर संस्थाध्यक्ष का स्वागत किया उपस्थित जनसमूह को सम्बोधित करते हुये महाराज श्री ने कहा कि यह मनुष्य शरीर चौरासी लाख योनियों में सर्वश्रेष्ठ है क्योंकि इसी शरीर में प्रभु प्राप्ति का एक दरवाजा है, जिसे दसवी द्वार कहा जाता है। उसी दरवाजे को तीसरा तिल भी कहते हैं जब कोई जीते जागते सन्त-महात्मा मिलते हैं तो इसका भेद
बताते हैं और अपनी दया, कृपा देकर कलयुग की सरल सुरत शब्द योग साधना के अन्तर्गत सुमिरन, ध्यान, भजन कराकर उन जीवों को ऊपरी मण्डलों में पहुंचा देते है। मानव प्राणी इस जगत में आकर मोह बन्धनों दुनियां के ऐशो-इशरत में ऐसा उलझ गया कि अब उसे यह होश ही नहीं रहा कि हम कौन है? कहां से आये? और
मरने के बाद कहां जायेंगे? यह मानव मात्र के लिये एक जटिल प्रश्न है। इसीलिये एक कहावत प्रचलित है कि “गुरु करें जानि के पानी पी छानि गुरु
जानना मतलब जाति, बिरादरी का नहीं बल्कि उसके ज्ञान, उसकी साधना की पहुंच का होता है क्योंकि पराविद्या का ज्ञान किसी जाति विशेष के लिये नहीं होता है। रविदास जी ‘हरिजन’ जाति के थे मीराबाई क्षत्राणी थी, लेकिन ये सब पूरे महात्मा थे। इन सबने उस समय समाज में घूम-घूम कर इसी सुरत शब्द योग (नाम-योग)
का ही भेद उस समय के जीवों को दिया था और बहुतों को पार कर दिया था हमारे गुरु महाराज बाबा जयगुरुदेव जी महाराज कहा करते थे कि हमने ‘जयगुरुदेव’ नाम की जहाज लगा दी है. सारी दुनियां के जीव एक साथ इस नाम जहाज पर चढ़ जाय तो भी यह नाम जहाज सबको भवसागर से पार कर देगा मैं अपने गुरु महाराज का संकल्प पूरा करने में लगा हूं। पूरा जीवन इसी में लगा दूंगा इसी उद्देश्य को लेकर आपके जिले के ब्लाकों में दो-दो जगह समय दे रहा हूं कि बहुत
से गरीब लोग मथुरा पहुंच नहीं पायेंगे और इस नाम भेद से वंचित रह जायेंगे। पंकज जी महाराज ने सुमिरन, ध्यान, भजन का भेद भी बताया और कहा कि एक महीने बिना नागा अगर आपने कर लिया तो यह रास्ता सच्चा है, आपको दिखाई भी पढ़ेगा और सुनाई भी देगा। बस आप लोग शाकाहारी रहें और शराब आदि नशीले
पदार्थों का परित्याग करें ताकि एक अच्छे समाज का निर्माण हो सके।
उन्होंने आगे कहा कि वर्तमान में जगह-जगह विद्यालय, महाविद्यालय, विश्व विद्यालय खुले है। शिक्षा है, डिग्री है फिर भी आज का नवजवान सत्संग व संस्कारों के अभाव में अपने माता-पिता को सम्मान व शरण नहीं दे पा रहा है मजबूरी में देश में इतने वृद्धाश्रम खोले गये हैं ताकि उन बेसहारा बुजुर्गों को एक आशियाना मिल सके। इसके पीछे समाज में मांसाहार तथा तरह-तरह के नशीले पदार्थों का बढ़ता हुआ चलन है। हमारी आप सबसे अपील है कि अपने-अपने घरों के नवजवानों पर निगाह रखें और संस्कारी बनायें क्योंकि ये ही देश की धरोहर है। हमारी सभी धर्म प्रेमी भाईयों-बहनों से अपील है कि एक-एक गांव गोद लेकर गांव के
लोगों को शाकाहारी बनायें, शराब जैसे व्यसन से दूर करें गांव-गांव में जब भजन होने लगेगा और शाकाहारी-सदाचारी बन जायेंगे तो समाज अच्छा बन जायेगा।
समय बदल जायेगा नया युग आ जायेगा। उन्होंने आगामी 17 से 21 मई तक जयगुरुदेव आश्रम मथुरा में होने वाले अपने गुरु महाराज परम संत बाबा जयगुरुदेव जी के ग्यारहवें पावन भण्डारा पर्व पर पधारने का निमन्त्रण दिया तथा बताया कि मथुरा में वरदानी जयगुरुदेव मन्दिर बना है जहां बुराईयां चढ़ाने पर मनोकामना की पूर्ति होती है। जिला-इटावा में तह मरथना के गांव खितौरा धाम में बाबा जी की पावन जन्मभूमि है यहां पर भी भव्य वरदानी मन्दिर बना है। यहां सभी सम्प्रदायों के लोग आते हैं। इस अवसर पर रामेश्वर यादव, अभिनाथ यादव, सोगारू सिंह गौड़, सीताराम यादव, राममूरत यादव, सुदामा पटेल, बीरमान यादव,छेदीलाल यादव, अविनाश मिश्रा, सहयोगी संगत प्रतारागढ़ के पिन्टू शुक्ला, कामता प्रजापति, भरत ताम्रकर, रमा शंकर गुप्ता, राजेश मास्टर आदि उपस्थित रहे। शांति और सुरक्षा में पुलिस
प्रशासन का सराहनीय सहयोग रहा।
सत्संग के बाद धर्म यात्रा अपने अगले पड़ाव क्रिकेट ग्राउण्ड ग्राम डुमरडिहा के लिये प्रस्थान कर गई, जहां कल (आज) दिन के 11.30 बजे से सत्संग
आयोजित है।

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