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दिल्ली से किसानों को दबाव और अपमानित करके और खाली हाथ मत भेजना :- मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक।

दिल्ली के बॉर्डर पर 100 दिनों से भी ज्यादा से चल रहे किसान आंदोलन पर विपक्षी पार्टी के.साथ साथ बीजेपी की बड़े नेता और मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने किसान आंदोलन पर सरकार को चेताया है।

उन्होंने सरकार से किसान आंदोलन को हल्के में न लेने की बात कह डाली है। अपने भाषण में उन्होंने किसान नेताओं को बचाने से लेकर पीएम मोदी को सलाह दिलवाने तक का दावा किया है।
मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक किसान कानूनों को लेकर आंदोलनकारी किसानों के समर्थन में आ खुल कर आ गए हैं. उन्होंने साफ कहा कि
दिल्ली से किसानों को दबाव और अपमानित करके और खाली हाथ मत भेजना. क्योंकि मैं जानता हूं सरदारों को, 300 बरस तक ये कुछ नहीं भूलते हैं. जिस देश का किसान और जवान जस्टिफाइड नहीं होता है, उस देश को कोई बचा नहीं सकता है. मैं प्रधानमंत्री के एक बहुत बड़े पत्रकार मित्र से मिलकर आया हूं. उनसे जिक्र किया कि मैंने कोशिश कर ली, अब आप भी कोशिश कर लो. किसान दिल्ली से वापस जाएंगे नहीं, और चले गए तो 300 साल तक भूलेंगे नहीं. इन किसानों को ज्यादा कुछ नहीं, तो एमएसपी को कानूनी तौर पर मान्यता दे दो. मेरी जिम्मेदारी है, मैं इस मामले को यहां खत्म करा दूंगा. जब इंदिरा गांधी ने भी ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाया, तो उसके बाद एक माह तक महामृत्युंजय का यज्ञ कराया. अरुण नेहरू (इंदिरा गांधी के भतीजे) ने इंदिरा गांधी से पूछा था कि फूफी आप तो ये बात नहीं मानती थीं, तो इंदिरा गांधी ने ये कहा कि तुम्हें ये पता नहीं, मैंने इनका अकाल तख्त तोड़ा है, ये मुझे छोड़ेंगे नहीं. इसलिए ये यज्ञ करा रही हूं.”
इतना ही नहीं उन्होंने किसान आंदोलन का मुख्य चेहरा बन चुके किसान नेता राकेश टिकैट को गिरफ्तारी से बचाने का दावा भी किया. राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने दावा किया कि,जब मैंने किसान नेता राकेश टिकैत की गिरफ्तारी की सुगबुगाहट सुनी, तो फोन करके इसे रुकवाया. मैं यकीन दिलाता हूं किसानों के मामले पर जितनी दूर तक भी जाना पड़ेगा, उतनी दूर तक जाऊंगा. क्योंकि मुझे किसान की तकलीफ मालूम है, देश में किसान बहुत बुरे हाल में है।


मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक रविवार को अपने गृह जनपद बागपत पहुंचे,वहां कस्बा अमीनगर सराय में वे अभिनन्दन समारोह में शामिल हुए। यहाँ पर मंच से बोलते हुए उन्होंने देश में किसानों की हालत को खराब बताया, उन्होंने राज्यपाल की भूमिका और मजबूरी का बखान भी मंच से किया। उन्होंने बताया कि राज्यपाल तो बस दस्तखत करता है, राज्यपाल तो कुछ बोलता नहीं है लेकिन मेरी आदत है कि मैं चुप नहीं रह सकता। मुझे कई लोग कहते हैं कि चुप रहूंगा तो बहुत कुछ बन जाऊंगा लेकिन मेरा कहना है कि मुझे जो बनना था मैं बन चुका।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाट समुदाय से आने वाले सत्यपाल मलिक करीब-करीब सभी राजनीतिक विचारधाराओं से जुड़े रहे हैं. उन्होंने अपना राजनीतिक करियर छात्र नेता के तौर पर शुरू किया. राममनोहर लोहिया से प्रेरित मलिक ने मेरठ यूनिवर्सिटी में एक छात्र नेता के तौर पर अपना राजनीतिक करियर शुरू किया था. वह यूपी के बागपत में 1974 में चरण सिंह के भारतीय क्रांति दल से विधायक चुने गए थे. इसके अलावा वह 1980 से 1992 तक राज्यसभा के सांसद भी रह चुके हैं. साल 2004 में मलिक भाजपा में शामिल हुए थे और लोकसभा चुनाव लड़े, लेकिन इसमें उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के बेटे अजीत सिंह ने हरा दिया. 2018 में जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने के बाद सत्यपाल मलिक को जम्मू-कश्मीर का राज्यपाल बनाया गया।
बता दें कि पिछले 100 दिनों से भी ज्यादा वक्त से चल रहे किसान आंदोलन का पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गहरा असर देखा जा रहा है। सत्यपाल मलिक भी उस जाट समुदाय से आते हैं जिसका पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भारी राजनीतिक रसूख है, ऐसे में यह माना जा रहा है कि सत्यपाल मलिक अपने समुदाय में पकड़ बनाए रखने की कोशिश में हैं।

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