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सौंदर्य प्रतियोगिताओं से दूर रहे महिलाएं :- डॉ रचना तिवारी।

महिला सशक्तिकरण पर अधिवक्ता परिषद ने आयोजित की संगोष्ठी, महिलाओं का किया सम्मान।

सोनभद्र/उत्तरप्रदेश।

अधिवक्ता परिषद सोनभद्र इकाई के तत्वाधान में मंगलवार को देर शाम सोबाए सभागार में महिला सशक्तिकरण पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। अध्यक्षता परिषद के इकाई अध्यक्ष शशांक शेखर कात्यायन ने तथा संचालन राजीव सिंह गौतम ने किया।

संगोष्ठी मे मंचस्थ अतिथियों का स्वागत परिषद के महामंत्री नीरज कुमार सिंह द्वारा किया गया। संगोष्ठी में बतौर मुख्य वक्ता जनपद सोनभद्र की गौरव, हिंदी साहित्य की सशक्त हस्ताक्षर एवं एवं अखिल भारतीय कवि सम्मेलनों की नामचीन कवयित्री गीतकार डॉ रचना तिवारी जहां प्रमुख रूप से उपस्थित रहीं वही मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ महिला अधिवक्ता पूनम सिंह व विशिष्ट अतिथि के रूप में अधिवक्ता परिषद के संरक्षक द्वय वरिष्ठ अधिवक्ता सूर्य प्रताप सिंह व वरिष्ठ अधिवक्ता अमरेश चंद्र पांडेय मंचासीन रहे।


महिला सशक्तिकरण पर जनपद सोनभद्र की गौरव एवं सुप्रसिद्ध कवयित्री और लेखिका डॉ रचना तिवारी ने कहा कि सही मायने में तभी महिला सशक्तिकरण होगा जब महिलाओं के बारे में हमारी सोच उत्तम होगी। आगे कहा वही महिला सशक्त है जिस महिला के सर पर आंचल हो। उन्होंने यह भी कहा कि यद्यपि महिलाएं आदिकाल से ही सशक्त रही हैं । बावजूद इसके आज के इस चकाचौंध में सशक्त रहने के लिए महिलाओं को उद्देश्य
चुनना होगा।
डॉ रचना तिवारी ने आगे यह भी कहा कि वर्तमान परिवेश में हमें चूहा दौड़ व सौंदर्य प्रतियोगिताओं में सम्मिलित नहीं होना चाहिए,उससे बचना चाहिए। इसे और परिभाषित करते हुए कहां अंधी दौड़ अंधे कुएं की ओर ले जाती है। मुख्य अतिथि पूनम सिंह एवं विशिष्ठ अतिथियों सूर्य प्रताप सिंह और अमरेश चंद्र पांडेय ने अपने उद्बोधन में कहा कि,भारतीय संदर्भ में महिलाओं की स्थिति का विश्लेषण करें तो उसे तीन काल खंडों में विभाजित किया जा सकता है ,जिसमें प्राचीन काल खंड में हमारे भारत देश में महिलाओं की स्थिति अत्यंत सुदृढ़ थी और उन्हें हर क्षेत्रों में पुरुषों की तुलना में भी अधिक अच्छी स्थिति प्राप्त थी, लेकिन मध्यकाल में बाहरी आक्रांतओ द्वारा किए गए हमलों से अपने घर की महिलाओं को सुरक्षित करने के लिए उन्हें घर की देहरी तक सीमित कर दिया जिस कारण महिलाओं की स्थिति में थोड़ी गिरावट आई किंतु वर्तमान समय में पुनः महिलाओं की स्थिति अपने प्राचीन काल के रूप में विकसित होते हुए दिखाई दे रही है और बच्चियां हर क्षेत्रों में बच्चों की तुलना में कहीं अधिक सफलता अर्जित कर रही है। उन क्षेत्रों में भी बच्चियों ने अपनी भागीदारी और अपना कौशल दिखाना शुरू कर दिया है जहां उनके होने की कल्पना तक नहीं की जा सकती थी जैसे सेना और अंतरिक्ष की यात्रा। संगोष्ठी को अर्पिता मालवीय व स्वयं प्रभा ने भी संबोधित किया।
विषय प्रर्वतन पवन मिश्रा ने किया इसके पूर्व मुख्य वक्ता समय महिला अतिथियों का अंगवस्त्रम ओढा कर परिषद की ओर से सम्मानित किया गया। इस मौके पर महिला अधिवक्ता चंदा पांडेय, पूनम, कोमल सिंह, वर्तिका केशरी, व वरिष्ठ अधिवक्ता संजीत चौबे,कृष्ण प्रताप सिंह, सर्वेश मिश्रा, सुनील मालवीय, उमेश मिश्र ,मदन चौबे, जितेंद्र देव पांडेय,राघवेंद्र त्रिपाठी आदि अधिवक्ता मौजूद रहे।

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