सोनभद्र

फर्जी दस्तावेज तैयार कर ट्रकें छुड़ाने के मामले में 29 वाहन स्वामियों पर एफआईआर दर्ज, मचा हड़कम्प

और भी ट्रकें कई थाने एवं चौकियों से छुडाऐं गए ट्रकों के वाहन स्वामियों गिर सकती है गाज। - करोड़ों के इस खेल में स्वतंत्र एजेंसी के द्वारा जाँच कराये जाने पर हो सकता है बड़े रैकेट का खुलासा।

 

अशोक मद्धेशिया
संवाददाता
चोपन/सोनभद्र ।परिवहन विभाग में फर्जी रिलीज आर्डर दिखाकर सैकड़ों ट्रक छुडाएं जाने का मामला लगातार गरमाता जा रहा है। सैकड़ों ट्रकों को छोड़े जाने की आंच परिवहन व पुलिस विभाग पर लगी तो हड़कम्प मच गया। मामला तूल पकड़ा तो मंडलीय समीक्षा के दौरान मंडलायुक्त द्वारा कड़ा निर्देश मिलने के बाद परिवहन विभाग ने 26 जुलाई को चोपन थाने में लिखित तहरीर देकर फर्जी रिजीज ऑर्डर दिखाकर वाहन छुड़ाए जाने के मामले में तहरीर देकर एफआईआर दर्ज करने को तहरीर में लिखा गया हैं। जिसके बाद चोपन से (10) डाला पुलिस चौकी से (19) ट्रकों को छोड़े जाने के मामले में कुल 29 ट्रकों के चालकों व संचालकों पर कार्यालय से आदेश न जारी किए जाने तथा कूटरचित दस्तावेज तैयार कर ट्रकों को छुड़ाए जाने के आरोप में विभिन्न धाराओं में मुकदमा पंजीकृत कर ली गयी है प्रशासन के इस कार्यवाही से ट्रक संचालकों, परिवहन माफियाओं में हड़कम्प मचा हुआ है।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक परिवहन विभाग द्वारा 29 ट्रक संचालकों पर मामला दर्ज करा दिया गया है लेकिन उसमें अभी भी कई पेंच सामने आ सकते हैं। कई ट्रक संचालकों का कहना है कि उनकी ट्रक खनन विभाग द्वारा चालान किया गया था जिसका उन्होंने जुर्माना भरकर खनन विभाग द्वारा आदेश की कॉपी प्राप्त कर थाने से गाड़ी छुड़ाई गई हैं इसके बावजूद परिवहन विभाग द्वारा फर्जी तरीके से गाड़ी छुड़ाए जाने की सूची में उनका भी नाम चल रहा है। कई ट्रक संचालकों ने तो कोर्ट की तरफ रुख कर लिया है तो कई धरना प्रदर्शन करने की बात कह रहे हैं।
विभागों में सामंजस्य की कमी के कारण कई बार उच्चाधिकारियों द्वारा संयुक्त जाँच टीम बनाकर ओवरलोड के खिलाफ अभियान चलाया जाता रहा है। संयुक्त जाँच टीम द्वारा की जाने वाली जांच में अब तक तालमेल की कमी देखने को मिलती रही है। जबकि जांच में खनन,परिवहन व वाणिज्यकर के अधिकारी मौके पर एक साथ कभी नहीं दिखे। कभी किसी विभाग के कर्मचारी व बाबू जाँच टीम में शामिल होकर जाँच का कोरम पूरा करके चले जाते हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि जब एक विभाग द्वारा कार्यवाही की गई और दूसरे विभाग द्वारा उसका जुर्माना भी नियमानुसार लिया गया तो बाकी दो विभागों को नोड्यूज की कॉपी क्यूँ नहीं दी गयी। ट्रक संचालकों की माने तो उनके साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ वे खनन विभाग द्वारा किये गए जुर्माने को अदा करने के बावजूद परिवहन विभाग की काली सूची में शामिल हैं।

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