उत्तर प्रदेश
भाजपा सांसद करा रहे आदिवासियों का उत्पीड़न – एआईपीएफ
भाजपा सांसद करा रहे आदिवासियों का उत्पीड़न – एआईपीएफ
बलात्कारियों को बचाने के लिए आदिवासियों की बेदखली का प्रशासन पर बनाया जा रहा दबाब।
प्रमुख सचिव, वन एवं पर्यावरण को दिनकर ने भेजा पत्र।
डीएफओ कैमूर की नोटिस निरस्त करने की मांग।
जिला संयोजक कांता कोल के नेतृत्व में घोरावल रेंजर से मिला प्रतिनिधिमण्ड़ल।
घोरावल(पी डी)सोनभद: परसौना ग्राम के आदिवासियों को उनकी पुश्तैनी जमीन से बेदखल करने के लिए भाजपा सासंद रामसकल द्वारा वन विभाग और प्रशासन पर दबाब बनाया जा रहा है। हाल ही में कोल, गोंड़ आदिवासियों के विरूद्ध प्रशासन ने शांति भंग का मुकदमा कायम किया और अब उन्हें डीएफओ कैमूर द्वारा नोटिस भेजी गई है। इस उत्पीड़न की कार्यवाही का विरोध करते हुए आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के नेता दिनकर कपूर ने आज प्रमुख सचिव, वन एवं पर्यावरण को पत्र भेजा है। जिसे मुख्यमंत्री जन सुनवाई पोर्टल पर भी दर्ज कराया गया और प्रधान मुख्य वन संरक्षक उ0 प्र0, डीएम सोनभद्र को आवश्यक कार्यवाही हेतु इसकी प्रतिलिपि भी ईमेल द्वारा भेजी गई है।
पत्र में दिनकर ने आरोप लगाया कि परसौना गांव में आदिवासियों और दलितों के उत्पीड़न की यह कार्यवाही महज इसलिए हो रही है क्योंकि इसी गांव के निवासी जिला पंचायत सदस्य हीरालाल बैसवार जो आदिवासी लड़की के साथ बलात्कार के अभियुक्त है और इनके पुत्र रामपाल बैसवार द्वारा दलित लड़की के साथ पिछले साल छेड़खानी की गई थी। इन पिता-पुत्र द्वारा आदिवासियों और दलितों पर अपने ऊपर कायम मुकदमों को वापस करने के लिए दबाव बनाया जा रहा था। इसमें सफल न होने पर इनके कहने पर भाजपा के राज्यसभा सासंद द्वारा आदिवासियों को उसकी पुश्तैनी जमीन से बेदखल करने के सम्बंध में वन विभाग और जिला प्रशासन पर राजनीतिक दबाब बनाया जा रहा है। इस तरह के अनैतिक राजनीतिक दबाब में यदि आदिवासियों, दलितों की वन विभाग द्वारा बेदखली की कोई भी कार्रवाही होती है तो वह सर्वथा अनुचित और विधि के विरूद्ध होगी। ऐसी कार्रवाही प्रशासन की निष्पक्षता के लिए शुभ नहीं है। पत्र में कहा गया कि ऐसे ही राजनीतिक दबाव में की गई कार्रवाहियों के कारण घोरावल तहसील में आदिवासियों का उभ्भा नरसंहार हो चुका है हमें यह भय है कि कहीं इसकी पुनर्वृत्ति घोरावल में न हो जाए। जो इस इलाके की शांति को भंग कर देगी। इसलिए पत्र में मांग की गई कि घोरावल में शांति के लिए ऐसी उत्पीड़नात्मक कार्रवाहियों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जाए और आदिवासियों को दी गई अवैधानिक नोटिस को तत्काल निरस्त करने का निर्देश डीएफओ, कैमूर वन्य जीव प्रभाग, मिर्जापुर को दिया जाए और पूरे मामले की अपने स्तर पर जांच कराई जाए।
वहीं सोमवार को एआईपीएफ के जिला संयोजक कांता कोल और मजदूर किसान मंच के तहसील संयोजक अमर सिंह गोंड़ के नेतृत्व में प्रतिनिधिमण्ड़ल ने घोरावल रेंजर से मुलाकात कर नोटिस का जबाब दिया और प्रतिवाद दर्ज कराया। एआईपीएफ नेताओं ने उन्हें बताया कि जिन जमीनों की नोटिस ग्रामीणों को दी गई है वह उनकी पुश्तैनी जमीन है जिस पर वह 13 दिसम्बर 2005 से पहले से काबिज है। इस पर अधिकार के लिए वनाधिकार कानून के तहत जमा उनके दावे तहसील में लम्बित है। सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट ने दावों को निस्तारित करने और तब तक बेदखली पर रोक लगाई हुई है। इसके बावजूद उन्हें दी गई नोटिसें न्यायालय की अवमानना है इसलिए इन्हें वापस लिया जाना चाहिए।