धनतेरस के दिन बाजारों में ग्राहक नदारद दुकानदारों में मायूसी

धनतेरस के दिन बाजारों में ग्राहक नदारद दुकानदारों में मायूसी
दीपावली क्यों मनाई जाती है इसका शास्त्रों में वर्णन है कि जब प्रभु श्री रामचंद्र जी रावण का वध करने के बाद 14 बरस का बनवास खत्म होने पर माता सीता को लेकर जब अयोध्या पहुंचे थे जो अयोध्या वासियों ने अपने आराध्य प्रभु श्री राम जी का गाजे-बाजे फूल माला और पटाखा बजाकर स्वागत किऐ थे
उसी के बाद से हर वर्ष हिंदू धर्म में दशहरा के बाद दीपावली मनाने के परंपरा की शुरुआत हुई
डाला(संवाददाता काजल पासवान)डाला बाजार में लगभग संध्या 6:00 बजे दुकाने तो सभी सजी थी जैसे बर्तन, मूर्ति, लाई गट्टा चूड़ा, पटाखा तथा मिठाई की दुकान सजी हुई दिख रही थी लेकिन करोना महामारी के चलते लोगों ने पास में कम पैसा होने और कमाई नहीं
होने के कारण हल्के फुल्के में त्योहार मनाने का मन बनाया है डाला के सभी दुकानों पर कहीं तो ग्राहक नहीं है और कहीं ग्राहक देख भी रहे तो 12 की संख्या में इससे यह प्रतीत होता है कि करोना महामारी के चलते आम जनमानस की कमाई नहीं होने के कारण कमर टूट गई है इसी कारण वह त्यौहार के दिन में भी हल्की फुल्की
खरीदारी कर त्योहार मनाने का मन बनाए हैं जिसका जीता जागता उदाहरण मार्केट में लगी भीड़ और ग्राहक से लगाया जा सकता है दुकानदारों में भी ग्राहक नहीं होने के कारण मायूसी हैं