उत्तर प्रदेश

हास्य कवि अल्हड़ बीकानेरी का कविता,सरकार बनने दो

हास्य कवि अल्हड़ बीकानेरी का कविता,सरकार बनने दो

 जन्म हरियाणा के बीकानेर में 1937 को हुआ था। उन्होने अपने ख़ास अंदाज़ की हास्य कविताओं से लोकप्रयिता हासिल की। अल्हड़ बीकानेरी का असली नाम श्यामलाल शर्मा था। उन्हें हरियाणा गौरव पुरस्कार, काका हाथरसी पुरस्कार और 1996 में राष्ट्रपति द्वारा भी सम्मानित किया गया। 

जो बुढ्ढे खूसट नेता हैं

उनको खड्डे में जाने दो

बस एक बार, बस एक बार

मुझको सरकार बनाने दो।

मेरे भाषण के डंडे से

भागेगा भूत गरीबी का

मेरे वक्तव्य सुनें तो झगडा

मिटे मियां और बीवी का

मेरे आश्वासन के टानिक का

एक डोज़ मिल जाए अगर

चंदगी राम को करे चित्त

पेशेंट पुरानी टी बी क

वादों का जूस

मरियल सी जनता को मीठे

वादों का जूस पिलाने दो।

बस एक बार, बस एक बार

मुझको सरकार बनाने दो।

जो कत्ल किसी का कर देगा

मैं उसको बरी करा दूंगा।

हर घिसी पिटी हीरोइन कि

प्लास्टिक सर्जरी करा दूंगा।

लड़के लड़की और लैक्चरार

सब फिल्मी गाने गाएंगे,

हर कालेज में सब्जैक्ट फिल्म

का कंपल्सरी करा दूंगा।

विषयों पर बैन लगाने दो

हिस्ट्री और बीज गणित जैसे

विषयों पर बैन लगाने दो।

बस एक बार, बस एक बार

मुझको सरकार बनाने दो।

कालिज में दाखिल होना हो 

तत्काल ‘सोर्स’ मिल जाएगा।

घर में पढ़ना हो तो

‘कॉरिस्पोन्डेंस-कोर्स’ मिल जाएगा।

जिन लैला और मजनुओं की 

लव-मैरिज फेल हुई, उनको,

घर बैठे ही, ‘मोबाइल कोर्ट’ 

से, ‘डायवोर्स’ मिल जाएगा

बस एक बार

बुड्ढे, अनुभवी प्रेमियो को

भी पद्मश्री दिलवाने दो।

बस एक बार, बस एक बार

मुझको सरकार बनाने दो।

जो हंसना चाहें, हंस लेंगे

जो रोना चाहें, रो लेंगे।

हिंदी-इंग्लिश का झगड़ा क्या

सब खिचड़ी भाषा बोलेंगे।

बस की लाइन में मिला करेगी

पॉकेटमारी की ट्रेनिंग,

सब यात्री अपने से अगले,

यात्री की जेब टटोलेंगे।

चोरों का तथा डाकुओं का 

चोरों का तथा डाकुओं का 

राष्ट्रीकरण करवाने दो।

बस एक बार, बस एक बार

मुझको सरकार बना दो।

जो बिल्कुल फक्कड़ हैं उनको

राशन उधार तुलवा दूंगा

जो लोग पियक्कड हैं उनके

घर में ठेके खुलवा दूंगा

सरकारी अस्पताल में, जिस

रोगी को मिल न सका बिस्तर

घर उसकी नब्ज़ छूटते ही

मैं एंबुलैंस भिजवा दूंगा

मैं जन-सेवक हूं

मैं जन-सेवक हूं, मुझको भी

थोड़ा सा पुण्य कमाने दो।

बस एक बार, बस एक बार

मुझको सरकार बनाने दो।

श्रोता आपस में मरें कटें

कवियों में फूट नहीं होगी

कवि सम्मेलन में कभी, किसी

की कविता हूट नहीं होगी

कवि के प्रत्येक शब्द पर जो,तालियां न खुलकर बजा सकें

ऐसे मनहूसों को, कविता

सुनने की छूट नहीं होगी

कवि की हूटिंग करने वालों पर

हूटिंग टैक्स लगाने दो।

बस एक बार, बस एक बार

मुझको सरकार बनाने दो।

ठग और मुनाफाखोरों की

ठग और मुनाफाखोरों की

घेराबंदी करवा दूंगा

सोना तुरंत गिर जाएगा

चांदी मंदी करवा दूंगा

मैं पल भर में सुलझा दूंगा

परिवार नियोजन का पचड़ा

शादी से पहले हर दूल्हे

की नसबंदी करवा दूंगा

होकर बेधड़क, मनाएंगे

फिर हनीमून दीवाने दो

बस एक बार, बस एक बार

मुझको सरकार बनाने दो।

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