उत्तर प्रदेश

मैं तेरे आँगन की चिरइया बाबा मुझको जी लेने दो– -सोन साहित्य संगम गीतकार नीरज को जयंती पर किया याद

मैं तेरे आँगन की चिरइया बाबा मुझको जी लेने दो–
-सोन साहित्य संगम गीतकार नीरज को जयंती पर किया याद

सोनभद्र। गीतों के बेताज बादशाह महान गीतकार राष्ट्रकवि गोपाल दास नीरज जी की जयंती के अवसर पर सोन साहित्य संगम के नगर स्थित कार्यालय पर आयोजित काब्य संध्या में आमंत्रित कवियों ने एक से श्रोताओ को काब्य रस की धारा से सराबोर कर दिया। इस अवसर पर सर्वप्रथम अनेको पुरस्कार से सम्मानित कवि नीरज जी के चित्र पर माल्यार्पण कर उपस्थित कवियों द्वारा श्रद्धा सुमन अर्पित किया गया। तत्पश्चात संस्था के निदेशक मिथिलेश प्रसाद द्विवेदी जी की अध्यक्षता में काब्य गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें जनपद के वरिष्ठ एवम युवा साहित्यकारों ने अपनीं औऱ नीरज जी की रचनाओं को सुनाकर उपस्थित काब्यप्रेमियो को कविता और गीतों से आनंदमग्न कर दिया। काब्य गोष्ठी का सफल संचालन सोन साहित्य संगम के संयोजक श्री राकेश शरण मिश्र ने किया। इस अवसर पर माँ सरस्वती के चित्र पर उपस्थित कवियों द्वारा पुष्पांजलि अर्पित करके की गई। और फिर माँ वीणा वादिनी चरणों मे कवि सरोज सिंह द्वारा वाणी वंदना प्रस्तुत कर काब्य गोष्ठी की विधिवत शुरुआत की गई। मुख्य अतिथि के रूप में गजलकार श्री शिवनारायण शिव ने ‘हर कदम हर डगर हर ठिकाने का है, यूं बुरा हाल सारे जमाने का है’ सुनाकर वर्तमान परिवेश को प्रस्तुत करने का सफल प्रयास किया। वहीं अति विशिष्ट अतिथि के रूप में राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त कवि ओम प्रकाश तिवारी जी ने नीरज जी की साहित्यक यात्रा पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए काब्य पाठ किया। गोष्ठी में विशिष्ट अतिथि के रूप में कवि सुशील राही जी ने ‘फूल ऊँगाऊंगा आँगन में, मैं तो तेरे प्यार का’ सुनाकर लोगो की तालियां बटोरी। कवि दिवाकर द्विवेदी मेघ विजयगढ़ी जी ने ‘गिरेबाँ तार है सर पर चिलकती धूप है’ सुनाकर आम आदमी की ब्यथा को उजागर करने का प्रयास किया। कवि सरोज सिंह ने’ मतलबी जमाना है आओ आजमाते हैं, अपने ही अपनो से क्यो दूरियां बनाते हैं’ सुनाकर श्रोताओ को भरपूर आनंदित किया। गोष्ठी का सफल संचालन कर रहे संस्था के संयोजक राकेश शरण मिश्र “गुरु” ने भावना मन की शब्दो मे ला दीजिये,एक रचना नई फिर सुना दीजिए” सुनाकर लोगो की खूब वाहवाही लूटी।गोष्ठी के अंत मे अध्यक्षता कर रहे मिथिलेश प्रसाद द्विवेदी ने नीरज जी के प्रति श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए सभी आमंत्रित अतिथियों एवम कवियों का आभार प्रगट किया और ‘हाय ये प्रचंड धूप’ सुनाकर गोष्ठी का समापन किया। गोष्ठी में श्रोताओ के रूप में मुख्य रूप से रामेश मिश्र, संजय पति तिवारी,दीपक सिंह ,अम्बरीष राय, आकाश मिश्र, अनिल कुमार मिश्र रवि रतन चौहान आदि उपस्थित रहे।

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