बारिश न होने से प्रभावित हो रही मिर्चा और टमाटर की खेती ।
0 बिदेशी मंडियों में मसहूर है करमा का टमाटर ।
0 काफी टिकाऊ है करमा का स्वादिष्ट गुद्देदार लाल टमाटर ।
(संवाददाता मुस्तकीम खान सोनभद्र)
स्थानीय और आसपास का पूरा इलाका धान की खेती के साथ ही मिर्चा और टमाटर की खेती के लिए काफी मसहूर है ।धान की खेती पर बारिश के अभाव में संकट के बादल छा गए हैं । अगर आगे भी ऐसी ही परिस्थितियों रहीं तो मिर्चा और टमाटर की खेती पर भी ग्रहण लग सकता है ।
पूरे इलाके में टमाटर तथा मिर्चा की खेती लगभग पांच हजार एकड़ मे बड़े ही शानदार तरीके से की जाती है । यहां के उर्वर मिट्टी में पैदा हुआ लाल गुद्देदार टमाटर देश की सीमा के बाहर नेपाल और बांग्लादेश सहित दूसरे विदेशी मंडियों में अपनी आभा बिखेरता नजर आता है । स्वादिष्ट एवं टिकाऊपन यहां के टमाटर की सबसे बड़ी विशेषता होती है ।
परन्तु इस बार टमाटर की खेती करने वाले जागरूक किसान असहाय नजर आ रहे हैं । टमाटर के बीज डालने का यहीं उपयुक्त समय चल रहा है।इलाके मे टमाटर के उन्नतिशील संकर बीजों को खेती के लिए सबसे अधिक प्राथमिकता दी जाती है । बारिश के इन्तजार में बीज डालने मे हुई देरी से खेती जहाँ पिछड़ी तो टमाटर की पैदावार प्रभावित हो जायेगी और किसान के लिए टमाटर की खेती घाटे की खेती साबित हो सकती है।समय से खेती नहीं होने पर जहाँ एक ओर टमाटर की गुणवत्ता पर असर पड़ता है वहीं उचित दाम भी नहीं मिल पाता है।
इसके साथ ही बारिश के अभाव में पौधे विकास नहीं कर पाते हैं और फसल की पैदावार प्रभावित हो जाती है ।
मिर्चा की खेती पर भी अवर्षण का बहुत गहरा प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है ।अवर्षण से मिर्चा के पौधों मे रोगों का प्रकोप तेजी से बढ़ता है । अन्तिम जुलाई तथा अगस्त का प्रथम सप्ताह मिर्चा मे फूल फल लगने का सबसे बढ़िया समय माना जाता है। जिन किसानों के पास खुद का साधन है उनके खेत में लगे मिर्चा के पौधों मे फल लगना शुरू हो गया है ।दूसरी तरफ बारिश न होने से पौधे विकास नहीं कर पाये हैं । जिन किसानों के पास स्वयं की सिंचाई ब्यवस्था नहीं है उनकी मिर्चा की खेती नष्ट होने के कगार पर है । कुछ ही किसान ऐसे हैं जो सिंचाई के भरपूर साधन के सहारे अभी तक मिर्चा की खेती बचाने मे सफल रहे हैं ।