उत्तर प्रदेश

अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस पर हुई वर्चुअल संगोष्ठी

रॉबर्ट्सगंज (सोनभद्र) भूतातात्विक, पुरातात्विक, ऐतिहासिक, प्राकृतिक स्थलों के संरक्षण, संवर्धन, पर्यटन विकास के क्षेत्र में अनवरत से दो दशकों से कार्यरत विंध्य संस्कृति शोध समिति उत्तर प्रदेश ट्रस्ट के प्रधान कार्यालय में *अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय*दिवस* के अवसर पर वर्चुअल संगोष्ठी का आयोजन ट्रस्ट के निदेशक दीपक कुमार केसरवानी की अध्यक्षता में आयोजित हुआ ।

इस अवसर पर उन्होंने कहा कि-” संग्रहालय में इतिहास की आत्मा निवास करती है, संग्रहालय में संग्रहित पुरातात्विक, ऐतिहासिक कृतियां अतीत के कलात्मक वैभव का ज्ञान संग्रहालय में आए हुए पर्यटकों, शोधार्थियों, विद्यार्थियों को देती हैं। यह सांस्कृतिक ऐतिहासिक कलात्मक विरासत चिरकाल तक अपने कलात्मक, इतिहास को समेटे हुए रहती हैं।
सोनभद्र जनपद में ऐतिहासिक अवशेषों के संग्रहण का कार्य स्थानीय स्तर पर मंदिरों, पेड़ों के नीचे होता रहा लेकिन प्रभावी कदम ट्रस्ट, स्थानीय, साहित्यकारों, पत्रकारों के सदप्रयासों से 11 में वित्त आयोग की योजना के अंतर्गत उत्तर प्रदेश राज्य पुरातत्व निदेशालय लखनऊ के द्वारा शिवद्वार में एक स्थलीय संग्रहालय का निर्माण कराया गया और इसका उद्घाटन 3 सितंबर 2009 को तत्कालीन संस्कृति मंत्री सुभाष पांडे द्वारा किया गया था।
उद्घाटन के अवसर पर तत्कालीन संस्कृति सचिव अवनीश अवस्थी, जिला अधिकारी सोनभद्र पंधारी यादव,उत्तर प्रदेश राज्य पुरातत्व निदेशालय लखनऊ के निदेशक डॉ राकेश तिवारी, क्षेत्रीय सांस्कृतिक अधिकारी वाराणसी डॉ लवकुश द्विवेदी, क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी वाराणसी डॉक्टर सुभाष चंद्र यादव मंच से ऐतिहासिक कलाकृतियों के संग्रह में योगदान देने वाले महानुभावों का आभार व्यक्त किया था।
क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी वाराणसी डॉक्टर सुभाष यादव ने अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस पर बधाई देते हुए कहा कि-“संग्रहालय, किसी भी राष्ट्र की ऐतिहासिक व सांस्कृतिक विरासत के संरक्षक व सजग प्रहरी होते हैं। इसमें संरक्षित अतीत के आलोक में भविष्य की दिशा निर्धारित होती है। संग्रहालय, समाज और राष्ट्र के बौद्धिक उन्नति के प्रतिमान भी माने जाते हैं।
लोकवार्ता शोध संस्थान के सचिव डॉ अर्जुनदास केसरी ने कहा कि-जनपद सोनभद्र का प्रथम संग्रहालय लोकवार्ता शोध संस्थान संस्थान द्वारा सन 1980 में स्थापित किया गया था, इस संग्रहालय में आदिवासियों के दैनिक जीवन से संबंधित वस्तुओं का संग्रह किया गया है। इनमें मुख्य रूप से बांस का कोल्हू, औजार- हथियार, चरखा, कठपुतली एवं दुर्लभ फोटोग्राफ्स व अन्य अनोखे वस्तुएं संग्रहित हैं।
मधुरिमा साहित्य गोष्ठी के निदेशक/ वरिष्ठ साहित्यकार अजय शेखर ने अपना विचार व्यक्त व्यक्त करते हुए कहा कि-” संग्रहालय इतिहास की दृष्टि है और हमें अतीत की ओर आकर्षित करती है । बिना संग्रहालय के अवलोकन के हम ऐतिहासिक तथ्यों से वंचित रह जाते हैं, अतीत की गहराइयों में उतरने के लिए संग्रहालय सेतु का काम करती है, ऐतिहासिक वस्तुओं को संग्रहित करने का दायित्व समाज और सरकार का है, इसकी सुरक्षा और संरक्षण का दायित्व प्रत्येक व्यक्ति का है और अपने दायित्वों का पालन हर व्यक्ति को करना चाहिए। ताकि इतिहास की यह अनमोल धरोहर चिरकाल तक सुरक्षित रहें।
संगोष्ठी में अपना विचार अधिवक्ता ज्ञानेंद्र शरण राय, कवित्री एवं शिक्षिका कुमारी तृप्ति केसरवानी, साहित्यकार प्रतिभा देवी आदि ने विश्व संग्रहालय दिवस पर आधारित विचार व्यक्त किया।

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