उत्तर प्रदेश

आन लाइन रिकार्ड, कम्प्यूटर शिक्षक की अनिवार्य हो सरकारी तैनाती

गैर शैक्षणिक कार्यों से शिक्षकों को करें मुक्त

ओबरा (सोनभद्र) : यूपी बोर्ड के प्रत्येक विद्यालयों में कम्प्यूटर शिक्षक की तैनाती अनिवार्य रूप से सरकार करें, वहीं साथ में प्रत्येक विषयों के शिक्षकों की नई तैनाती में भी कम्प्यूटर की जरूरी जानकारी को शामिल किया जाना चाहिए। उक्त बातें माध्यमिक शिक्षक संघ के पूर्व जिलाध्यक्ष प्रमोद चौबे ने पीएम, पीएमओ, यूपी हुकूमत, सीएम, उच्च शिक्षा मंत्री आदि को ट्वीट कर अपेक्षा की है।

पूर्व जिलाध्यक्ष ने कहा कि कम्प्यूटर युग में कम्प्यूटर साक्षरता के अभाव में किसी भी व्यवस्था को सकुशल संचालित कर पाना न तो सम्भव है और न ही उचित है। जीवन के प्रत्येक कार्य डिजटल प्रणाली से जुड़े हुए हैं। कम्प्यूटर के प्रति सरकारी उदासीनता विद्यार्थियों को पंगु बनाना है। विद्यार्थियों के समस्त रिकार्ड आन लाइन रखें जाए, जिससे कभी भी कहीं से उसे सत्यापन या डाउन लोड किया जा सके। विद्यार्थियों के नवीन प्रवेश, शुल्क, अध्यापन, परीक्षा, अंक पत्र, पंजीयन, पंजीकरण, परीक्षा परिणाम, स्थानांतरण प्रमाण पत्र, चरित्र प्रमाण पत्र आदि विद्यालय की प्रत्येक गतिविधियों को आन लाइन किये जाने की अत्यंत जरूरत है, जिससे पारदर्शिता बनी रहे और अनावश्यक रूप से विद्यालय या कॉलेज आदि के चक्कर न लगाना पड़े। विद्यार्थियों के प्रवजन प्रमाण पत्र, स्थानांतरण प्रमाण पत्र आदि के कार्य भी आन लाइन कर दिए जाने चाहिए, जिससे कार्य में पारदर्शिता आएगी और फिजूल लेन-देन, यात्रा खर्च, समय की फिजूल खर्ची, कागज के खर्चे आदि पर रोक लगेगी। विद्यालय के प्रत्येक रिकार्ड आन लाइन होने से बार-बार मांगी जा रही सूचनाओं से भी निजात मिल सकेगा। प्रत्येक विद्यालयों में महज कागजों पर चल रहे पुस्तकालयों, वाचनालयों आदि को सरकार जरूरी मदद करके उसे धरातल पर उतारे। शारीरिक शिक्षा की भांति ही कम्प्यूटर को अनिवार्य विषय के रूप में जोड़ने की जरूरत है, वहीं प्रत्येक कार्य के लिए आवेदन के साथ ही कार्य की समय सीमा तय होनी चाहिए, जिससे विद्यार्थियों, अभिभावकों का आर्थिक शोषण रुक सके। सवित्त या स्ववित्त विद्यालयों के रखरखाव, आय-व्यय, वेतन आदि का सम्पूर्ण विवरण आन होने चाहिए, जिससे विद्यालय के शैक्षणिक व गैर शैक्षणिक कर्मियों का शोषण भी रोका जा सके। सरकार शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए पर्याप्त संसाधन मुहैया कराए, जिससे विद्यालयों के शिक्षा स्तर में गुणात्मक सुधार हो सके। बता दें कि शिक्षा विभाग के कार्यालयों में व्याप्त भ्रष्टाचार से ईमानदार कर्मियों को भी शक की निगाह से देखा जाता है, वहीं कॉलेज में सक्रिय शिक्षकों का इस्तेमाल आंकड़ों में एकत्रित करने में उलझकर रह जाता है। शिक्षकों से शैक्षणिक कार्य के सिवा अन्य कार्य लेने पर पूर्ण तय रोक लगाकर ही शिक्षा में गुणात्मक सुधार सम्भव है।

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