धरती के भगवान का तुगलकी फ़रमान,मरीज हलकान
सोनभद्र:बीजपुर स्थानीय परिसर में संचालित आलीशान अस्पताल में एक डॉक्टर के तुगलकी फ़रमान से मरीज सहित परिजन हैरत हैं। चर्चित डॉक्टर के यहाँ मरीज को दिखाना आसान नही है। डॉक्टर अपने हर चौथे मरीज के बाद ही बाहरी मरीज को देखते हैं चाहे वह कराह रहा हो अथवा अंतिम साँसे ले रहा हो यह उनका निजी तुगलकी आदेश नही कहेगें तो और क्या कहेगें। सच यही है कि पर्ची का नम्बर ही इसी तरह से लगवाया जाता है चार पर्ची परिसर के मरीज की तो एक पर्ची बाहरी मरीज की देखने के लिए वर्डब्याय को डॉक्टर का निजी आदेश है। जब कि देश मे कम्पनी के किसी भी अस्पताल में इस तरह के लिखित अथवा मौखिक आदेश कहीं नही हैं फिर भी धरती के भगवान कहे जाने वाले डॉक्टर अगर मरीज के साथ इसी तरह भेदभाव के तहत इलॉज करेगें तो फिर इनको भगवान कौन कहेगा। भुक्तभोगियों की माने तो केवल रिहंद में चर्चित डॉक्टर के इसतरह निजी और मौखिक आदेश से यह सुंदर हॉस्पिटल इन्हीं सब तुगलकी फरमान से चर्चा में बना हुआ है। दूर दराज से इलॉज कराने आये साधारण मरीज को भी इनके आगे घुटने टेकने पड़ते हैं। सर्दी, जुकाम, बुखार सहित अन्य छोटी मोटी बीमारी में दवा की पर्ची लिखवाने में पूरे दिन गुजर जाते हैं। जब कि अस्पताल में और किसी डॉक्टर के यहाँ इस तरह का न नम्बर लगता है और नहीं कोई बाहरी भीतरी का आदेश है। क्षेत्र के सम्भ्रांत जनों ने इनके उच्चाधिकारियो से आग्रह किया है कि बाहरी भीतरी की प्रथा को बन्द कर डॉक्टर एक समान मरीज को देखें जिससे आम लोगों में भी संस्थान और डॉक्टरों के प्रति सम्मान बना रहे।