उत्तर प्रदेश

87वीं बरसी पर याद किये गए खान बहादुर

नुरूलहोदा खान,

गाजीपुर,,

सेवराई।उत्तर प्रदेश जनपद गाजीपुर के सेवराई तहसील क्षेत्र के ग्राम सभा गोड़सरा के आज से ठीक 87 साल पहले ‘कमसारोबार’ इलाके के जाने मान शख्सियत के मौत से घोर आघात क्षति पहुचा था। आज ही के दिन अंजुमन इस्लाह मुस्लिम राजपूत कमेटी के बानी खान बहादुर मंसूर अली खां वफ़ात किये थे। ज्ञात हो कि खान बहादुर मंसूर अली मौजा गोड़सरा गांव के रहने वाले थे। उनका जन्म 18 सेप्टेंबर 1873 ई० को इलाके के नामी गरामी जमीदार परिवार मुंसी नबी बख़्श खां के घर हुआ था। खान बहादुर की माता मरियम बीबी एक घरेलू नेक ख़ातून थी। खान बहादुर बचपन से पढ़ने में बहोत तेज तरार थे वो अपनी काबिलियत के बदौलत कम उम्री मे 1890 में ईस्ट इंडिया कंपनी रेलवे में बतौर गुड़ क्लर्क के पद पर बहाल हुये। सन.1921 में रेलवे के आला अधिकारी पद ‘एटीएस’ से ‘डीटीएस’ पर लखनऊ मे पद्दोनित हुए। उनकी रेलवे मे काबिलियत की बदौलत उन्हे अंग्रेजी हुकूमत का ‘खान बहादुर’ जैसे आला उपाधि प्राप्त हुई। सन.1928 मे रेलवे से वो सेवानिवृत्त हुये और अपने जीवन के आख़िरी सांस तक ‘म्युनिसिपल बोर्ड़ ऑफ़ लखनऊ’ के चेयरमैन भी रहे। सबसे खास बात कि समाज सुधारक खान बहादुर मंसूर अली ने ‘कमसार-व-बार’ इलाके की तरक्की और तामील के लिये 10 अप्रैल 1910 ई० में दहेज़ जैसी घिनौने कुप्रथा के लिऐ अंजुमन इस्लाह मुस्लिम राजपूत कमेटी की बुनियाद गोड़सरा मे रखी और 1934 तक पाँच इजलास मुकम्मल करके इस सोसाइटी के आजीवन अध्यक्ष रहे। उनके नेतृत्व मे समाज की शिक्षा के लिये उनकी पहल की बदौलत उनके वफ़ात 19 अक्टूबर 1934 ई० के बाद 1938 ई० मे पुश्तैनी गांधी मेमोरियल इंटर कॉलेज, दिलदारनगर व सन.1940 ई० मे डिप्टी सईद खां की क़यादत में मुस्लिम-राजपूत इंटर कॉलेज, दिलदारनगर की बुनियाद पड़ी। आज ‘बाबा-ए-कौम’ खान बहादुर मंसूर अली को इंतकाल किये 87 साल हो गया है, लेकिन उनके द्वारा स्थापित अंजुमन इस्लाह कमेटी और उनकी मकबूलियत के कारनामे किस्से आज भी लोगों के दिलों मे जिन्दा है। आज उनकी 87 वीं बरसी के मौके पर उनके परिवार वालों द्वारा हर वर्ष की तरह लखनऊ के ऐशबाग स्तिथ उनके क़ब्र पर फातिहा ख़्वानी और लखनऊ के नाका चौराहा पर स्थित मंसूर मंजिल कोठी मे गरीब-बेसाहयों का रात्रि भोजन कराया गया। कमसारोबार इलाके के इस विभूती को बदरुद्दीन मेमोरियल फाउंडेशन, गोड़सरा के संस्थापक मुहम्मद शहाबुद्दीन उर्फ शहाब खान गोड़सरावी, बारा साहित्य मंच के संस्थापक सरवत महमूद खां, सोशल वेल्फेयर ट्रस्ट के संस्थापक वसीम रजा, अदनान फाउंडेशन चंदौली के संस्थापक एम.अफसर खां, अल ख़ैर फाउंडेशन मनिया के संस्थापक मंसूर आलम खां, राब्ता कमेटी लखनऊ के संस्थापक अख्तर हुसैन खां, गोल टीम लखनऊ के संस्थापक मेम्बर दानिश खां और अंजुमन इस्लाह कमेटी के सदस्य कलाम खां, सिराज मक्की, डॉ. सौकत खां, नसीम खां, शहनवाज खां, इनामुल्ला व रफीउल्ला खां, शमीम ग़ाज़ीपुरी ने खान बहादुर मंसूर अली को खिराज ए अकीदत पेश की।

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