*एनजीटी के नियमों को ताक पर रख कर बालू पटा धारक कर रहे बालू का खनन।*
*पूर्व में गहरे खनन के कारण सोननदी के आगोश में कई ट्रके समाहित हो चुकी हैं।*
अशोक मद्धेशिया
क्राइम जासूस
संवाददाता
चोपन/सोनभद्र। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के नियम यह हैं कि सात फीट से अधिक गहराई पर खनन नहीं किया जा सकता। लेकिन सोन नदी में नियम को ताख पर रखकर मोरंग खनन करके जमकर पर्यावरण की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। पोकलैंड मशीनों एव नावों से बीस से पच्चीस फीट गहराई से बालू निकाल कर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। अधिक गहराई से खनन होने से भूखंड में पानी निकल आया है और मशीनों के खनन से जलजीव मर रहे हैं। इसी सोन नदी में गहरे खनन के जद में आने से कई ट्रक डूब चुके है जिसका पता आज तक नही चल सका । वही बालू लदे ओवरलोड गाड़ियों से सड़को पर गिर रहे पानी से सड़क कीचड़ में तब्दील हो गया हैं। कीचड़ युक्त सड़क पर आए दिन जाम लग जा रहा है। इस सड़क पर पैदल यात्री दुर्दशा का सामना कर ही रहे हैं ग्रामीण मोटरसाइकिल सवार परिजन सहित आए दिन गिर रहे एवं एक्सीडेंट का शिकार हो रहें है। गनीमत यह हैं कि अभी ठंठ को लेकर स्कूल कॉलेज बन्द है। इस स्थिति में ग्रामीण बच्चे स्कूल कैसे जाएंगे। एक तरफ पूरे सड़क पर कीचड़ दूसरी तरफ भारी वाहनों का अंधाधुंध परिचालन उसी में झाड़ियो एव कचड़ों से भरी ट्रेक्टर टीपर का ट्रिप के चक्कर मे बेतरतीब चलना किसी बड़े अनहोनी से इंकार नही किया जा सकता हैं। ग्रामीणों में आक्रोश बढ़ते जा रहा हैं। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि सरकार द्वारा कोई समाधान नही निकाला गया तो होगा आंदोलन।