सोनभद्र

चोपन के रहवासियों की मांग पर पूर्व मध्य रेलवे एव राजस्व विभाग में संयुक्त सीमांकन करने की बनी सहमति।

सँयुक्त सीमांकन चोपन के रहवासियों के लिए वरदान साबित होगा या अभिशाप यह तो वक्त तय करेगा

अशोक मद्धेशिया
क्राइम जासूस
संवाददाता

चोपन/सोनभद्र। चोपन में रेलवे भूमि की पैमाइस पूर्व मध्य रेलवे के अधिकारियों द्वारा विगत वर्ष की गई। पैमाइस करने बाद प्रीतनगर एव बाजार के रहवासियों से रेलवे की भूमि खाली करने लिए लगातार नोटिस दी जाने लगी। चोपन के रहवासी कभी जिलाधिकारी ,कभी राज्य मंत्री, केंद्रीय मंत्री, कभी रेलवे अधिकारियों से चोपन के नेतागण व रहवासियों ने संयुक्त सीमांकन के लिए अनेको बार आवेदन किए।
आज गहमागहमी के बाद बनी सहमति।रेलवे के अधिकारियों द्वारा रेलवे भूमि खाली करवाने के लिए जिलाप्रशासन से लगातार सहयोग मांग रहे थे। जिसके क्रम में नवागत जिलाधिकारी चन्द्र विजय सिंह ने चोपन के रेलवे भूमि के समस्या समाधान के लिए चार सदस्यीय टीम गठित कर त्वरित समाधान के लिए आदेश दिए।
अतिक्रमण के खिलाफ कार्यवाही किये जाने को लेकर चोपन में रेलवे विभाग लगातार अपना प्रयास कर रहा है । शुक्रवार को जिस तरह से चोपन में सुबह से माहौल काफी तल्ख नजर आने लगा, जिसे देखते हुए राजस्व विभाग के अधिकारी समेत स्थानीय थाना पुलिस रेलवे के अधिकारी से वार्ता कर समस्या निस्तारण की बात हुई।
बताया जा रहा है कि जिस तरह से गुरुवार की शाम रेलवे विभाग लोगों को अपनी जमीन खाली किये जाने के लिए मुनादी कराया उससे लोगों की नींद ही उड़ गई । लोग सुबह से ही सड़कों पर निकल कर समाधान ढूंढने में जुटे हुए हैं। बड़ा सवाल यह है कि बाजार की जमीन हो या फिर प्रीतनगर, गौरव नगर एव अवकाश नगर की जमीन, जिसे रेलवे विभाग वर्षों बाद अपना बता रहा है उसके पास भी कोई मजबूत आधार या दलील नहीं है । जबकि स्थानीय लोगों का कहना है कि उनके पास मौजूद दस्तावेजों को रेलवे मानने को तैयार नहीं और रेलवे के पास कोई साक्ष्य नहीं है । लेकिन रेलवे द्वारा जबरन फोर्स के दम पे तानाशाही रवैया अपनाया जा रहा है ।राजस्व विभाग के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि रेलवे विभाग को बुलडोजर चलवाने से रोकना, क्योंकि सीएम योगी ने साफ कहा था कि किसी भी गरीब के घर पर बुलडोजर नहीं चलना चाहिए । जबकि रेलवे को इससे कोई मतलब नहीं ।
सवाल तो यह भी खड़ा हो रहा है कि वर्षों बाद रेलवे उक्त जमीन को अपना क्यों बताने में लगी है । जब लोग उक्त जमीन पर अपना आशियाना बना रहे थे तो उस समय क्यों नहीं रोका गया । एसडीएम भी इस विवादित भूमि को लेकर चुप्पी साधे हुए हैं । यदि किसी जमीन की वजह से लॉ एंड ऑर्डर प्रभावित हो रहा है तो उसका स्थायी समाधान निकालने की जरूरत है न कि उसे टालने की ।
मामला तल्ख देख स्थानीय भाजपा नेता भी सुबह से रेलवे की कार्यवाही को टालने के प्रयास में जुटे हुए थे।आखिकार नेताओं एवं रहवासी की मांग को राजस्व विभाग एवं रेलवे के सामने पुनः नई सीमांकन नापी किये जाने का प्रस्ताव रखा, जिसे रेल अधिकारियों मान लिया।और यह निर्णय लिया गया कि जब तक सीमांकन की नापी नहीं हो जाती तब तक किसी को नोटिस जारी नहीं किया जाएगा। है । अब जरूरत है जल्द से जल्द रेलवे एवं राजस्व विभाग संयुक्त सीमांकन कर चोपन रहवासियों को जटिल समस्या से निजात दिलाएंगे।
आज इसका शुभारंभ सिंदुरिया, वर्दिया सीमा से सीमांकन प्रारम्भ कर दिया गया।

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