आदिवासी विश्राम गरीबी की वजह से टूटा पैर का नही करा सके ऑपरेशन,जमीन के सहारे चल मांगते है भीख-
जुगैल।जनपद सोनभद्र का अति पिछड़ा क्षेत्र कहा जाने वाला गाँव जहा आज भी पूरी तरह नेटवर्क न मिला सका लोगों को।सरकार के इतने स्वास्थ्य क्षेत्र में विकास के बाद भी गाँव का एक निवास करने वाले जुगैल ग्राम पंचायत के जलकढ़वा टोला के आदिवासी विश्राम खरवार पुत्र लालमन उम्र लगभग 50 वर्ष जिनका लगभग 6 वर्ष पूर्व ओबरा डिग्री कॉलेज के समीप सड़क दुर्घटना में एक पैर टूट गया था। सरकारी तंत्र की व्यवस्था बेपटरी व लापरवाही के कारण उनका ऑपरेशन न हो सका पैसे के अभाव में प्राइवेट अस्पताल में ईलाज कराने में सक्षम नही था परिवार घरेलू उपचारों से कुछ माह में जख्म तो भर गये परंतु 2 भागों में हुवा पैर सिर्फ मांशपेशियों के सहारे आज तक टिका हुवा है औऱ प्रतिदिन जुगैल से किसी न किसी साधन से आकर जमीन पर खिसक-खिसक कर चोपन में भीख मांग कर व लोगों के घर से खाना मांग कर अपना जीवन यापन कर कष्ट भरे जीवन को गुजार रहे हैं।एक दिन बेरियर चोपन में गुरु प्रकाश के दुकान पर जनसेविका सावित्री देवी की नजर उस वृद्ध पर पड़ी
उनसे पूरी बात जानने का प्रयास किया उन्होंने कहा बेटी मुझे अपने पांव पर चलना है कह के रोने लगे सावित्री देवी ने वृद्ध की हर संभव मदद हेतु सामाजिक कार्यकर्ताओं से सहयोग हेतु आग्रह किया जिससे ऑपरेशन हो सके साथ ही जिलाधिकारी सोनभद्र, मुख्य चिकित्साधिकारी सोनभद्र से आदिवासी गरीब व्यक्ति के ईलाज के मदद हेतु पत्राचार किया जिससे की विश्राम का ऑपरेशन हो और पुनः अपने पैर पर चल के अपना जीविका चला सकें।