दंडकारण्य में भगवान श्रीराम की पर्णकुटी का स्वरूप डाकघर की तरह था:-सलिल पांडेय

*आजादी के अमृत महोत्सव की मिठास लंबे दिनों तक बनाए रखने के लिए विशेष लिफाफे का हुआ अनावरण*
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*डाक अधीक्षक की पहल पर हेडपोस्ट ऑफिस अमृत महोत्सव में रहा अव्वल*
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*डॉक्टरों की श्रेणी के लगाए गए पेड़*
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मिर्जापुर। आजादी के अमृत महोत्सव को अनूठे ढंग से मनाने की डाक विभाग की पहल मुख्यालय पर तिरंगे के तीन रंग से तालमेल बनाने का उपक्रम किया गया। इस योजना में डाक विभाग के अधीक्षक श्री आशीष कुमार श्रीवास्तव द्वारा बनाई गई अधीनस्थ अधिकारियों एवं कर्मचारियों की कुशल टीम तिरंगे के चक्र सदृश क्रियाशील रही।
त्रिस्तरीय कार्यक्रम के तहत आजादी के 75वें वर्ष को संजोकर रखने के लिए ₹ 25/- के लिफाफे की प्रस्तुति की गई है। उत्तर प्रदेश के पोस्टमास्टर जनरल द्वारा जारी इस लिफाफे का अनावरण कार्यक्रम हेड पोस्ट ऑफिस में अति भव्य ढंग से आयोजित किया गया।
*प्रथम रंग : अनावरण:-स्वतंत्रता दिवस को सर्वप्रथम इस लिफाफे के एलबम के अनावरण एवं विरूपण (विरुपण : किसी वस्तु का स्वरूप बदलना) कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की कमान डाक अधीक्षक श्री श्रीवास्तव खुद सम्हाले थे । उन्होंने सर्वप्रथम मुख्य अतिथि के रूप में सलिल पांडेय को उत्तरीय एवं माल्यार्पण के साथ स्वागत किया। इसी क्रम में वरिष्ठ पत्रकार शिवशंकर उपाध्याय एवं राकेश द्विवेदी तथा बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षक प्रार्थना पांडेय का भी सम्मान किया गया।
डाक विभाग की यात्रा कबूतर से कम्यूटर तक-उद्बोधन के क्रम में सलिल पांडेय ने डाक विभाग की स्थापना का संबन्ध त्रेतायुग से जोड़ते हुए कहा कि भगवान श्रीराम वनवास के दौरान दंडकारण्य पहुंचे तो वहां पर्णकुटी बनाई । सलिल पांडेय ने कहा कि ‘पर्ण’ शब्द का अर्थ भी पत्र होता है। श्रीराम के आगमन की आहट पाकर राक्षसों से पीड़ित लोगों ने यहां अपनी वेदना के जो पत्र रखे थे उसी से भगवान श्रीराम ने पर्ण कुटी बनाई। वेदना के इन पत्रों को पढ़कर और उसका निस्तारण करने में भगवान को 10 वर्ष लग गए। वनवास के दौरान सर्वाधिक समय उन्होंने यहीं व्यतीत किया।
उद्बोधन के क्रम में सलिल पांडेय ने कहा कि कभी समय था कि घर से बाहर गए सदस्यों की प्रतीक्षा करते परिजन डाकिया को देखकर आह्लादित हो जाते थे। इसी क्रम में डाक विभाग मजबूत करने के लिए जनसेवा केंद्रों तथा अन्यान्य कार्यक्रमों के संचालन का दायित्व दिए जाने की भी वकालत सलिल पांडेय ने की।
कार्यक्रम में मिर्जापुर, चुनार एवं सोनभद्र के तीनों सहायक अधीक्षक, डाकघर श्री पंकज कुमार श्रीवास्तव, श्री शरद कुमार वर्मा तथा शाहिद जमील खान ने भी मंच की शोभा बढ़ाई। कार्यक्रम का प्रभावी संचालन श्री दिवाकर शुक्ल कर रहे थे जबकि हेड पोस्टमास्टर, मिर्जापुर श्री अशोक कुमार मौर्य सबके स्वागत में लगे थे। इस अवसर पर कुमारी आरती, सर्वश्री कन्हैया अग्रवाल, राजकमल गौतम तथा विनोद कुमार सहित सभी कर्मचारी उपस्थित थे।
अनावृत्त एलबम-9×11 सेमीके चार फोल्ड में 70 औंस (40 पौंड) मोटे दफ़्ती का एलबम अति आकर्षक तैयार किया गया है। प्रथम पृष्ठ पर विभिन्न अवसरों पर जारी टिकटों में महात्मा गांधी के चरखा चलाते टिकट के अलावा अन्य महापुरुषों के भी चित्र वाले टिकट हैं। भारत सरकार के राष्ट्रीय लोगो अशोक स्तंभ के साथ डाक विभाग का लोगो है। दूसरे पृष्ठ पर ‘घर-घर तिरंगा’ स्लोगन, तिरंगे का चित्र एवं नेताजी सुभाषचंद्र बोस का फोटो है। साथ ही सौंदर्य बढ़ाने वाले बोतल का पेड़ और ऐतिहासिक घण्टाघर की घड़ी का चित्र है। तीसरे फोल्ड में तिरंगे के सम्मान के शब्द और अंतिम फोल्ड में संसद भवन का चित्र प्रदर्शित किया गया है। यह आमजन में राष्ट्र-सम्मानबोध का भाव जागृत कर रहा है।
*द्वितीय रंग : वृक्षारोपण:-इस क्रम में औषधीय गुणों से युक्त वृक्ष लगाए गए। जिसमें पेट में पथरी के इलाज के लिए पथरचट्टा से लेकर डायबिटिक मरीजों के फायदे के लिए गुड़मार तथा कुछ अन्य वृक्षों के साथ पुष्पों एवं अधिक आक्सीजन विसर्जित करने वाले पेड़ शामिल थे।
सहभोज : ‘रोटी देकर जोड़े-नोट देकर तोड़े‘-विभाग के लोगों में पारिवारिक भाव के आदान-प्रदान के लिए सहभोज के लिए चूल्हे में अग्नि प्रज्वलित की गई । कहावत भी है कि रोटी साथ बैठकर खाने से अपनत्व भाव जागता है जबकि रुपए (नोट) के लेनदेन में संबन्ध टूटते हैं।
जनता-जनार्दन का आशीष चाहते दिखे ‘आशीष‘-डाक अधीक्षक समाज के हर तबके के प्रबुद्ध लोगों के बीच विचार-विमर्श का मौका चाहते हैं। उनका कहना था कि विभाग की योजनाएं अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचे, इसके लिए समय-समयपर विविध आयोजन का भी प्रयास किया जाएगा:-सलिल पांडेय, मिर्जापुर*