उत्तर प्रदेशसोनभद्र

नगरीय एवं गवई क्षेत्रों फर्जी झोलाछाप डॉक्टरों का फैला मकड़जाल,स्वास्थ्य विभाग मौन क्यूं ।

स्वास्थ्य विभाग नैतिकता का परिचय देते हुए फर्जी मेडिकल स्टोर, फर्जी क्लीनिक संचालकों पर कड़ी कार्रवाई करें।

अशोक मदेशिया
संवाददाता
चोपन/सोनभद्र । विकास खंड क्षेत्र अंतर्गत चोपन गांव,चौरा, बिजोरा,करगरा,पटवध,मारकुंडी, मीतापुर,कोटा,डाला,ओबरा,में लगने वाले हाट बाजार में कई झोला-छाप डॉक्टर भी अपनी क्लीनिक चलाते है लोगों का कहना है कि यहां स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं है, ऐसे डॉक्टरों से इलाज कराने को मजबूर होना पड़ता है यहां काम करने वाले स्वास्थ्य रक्षक का कहना है कि झोलाछाप डॉक्टर यहां बड़े स्तर पर काम कर रहे हैं जब भी कोई सरकारी अधिकारी कर्मचारी दौरे पर आते है तो गुप्तचरों से सूचना मिलने पर ये क्लीनिक बंद करके भाग जाते है। सोचनीय विषय यह हैं कि इतने बड़े पैमाने पर चल रहे फर्जी झोलाछाप डॉक्टरों के धंधे पर स्वास्थ्य विभाग भी नकेल कसने में नाकाम ही नज़र आ रहा है ये डॉक्टर यहां के आदिवासियों की जान से तो खेल ही रहे है वहीं ये इलाज के नाम पर लूट खसोट भी कर रहे है।
ओबरा विधायक समाज कल्याण राज्यमंत्री संजीव सिंह गौड़ के विधानसभा में इसे लेकर प्रश्न- चिन्ह लगाता है साथ ही सीएमओ से भी इस बारे में चर्चा किया गया तो उन्होंने कहा कि मैं झोलाछाप डॉक्टरों के ऊपर कड़ी से कड़ी कार्रवाई करूंगा।मीडिया के बात करने के बाद सीएमओ की ये प्रतिक्रिया थी तो इतने दिनों से क्षेत्र की जनता के लिए क्या किया, ये बड़ा सवाल है। प्रदेश सरकार गरीबों एवं आदिवासीयों हित मे कई जनकल्याण कारी योजनाए संचालित कर रही है मगर इन योजनाओं का लाभ गरीब आदिवासियों को नही मिल पा रहा है स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही या मिलीभगत से क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव आज भी है वहीं जन-प्रतिनिधियों का ध्यान भी इस और नही हैं,इस पर उन्हें स्वत: संज्ञान में लेते हुए स्वास्थ्य विभाग के संबंधित अधिकारियों से वार्ता करके फर्जी मेडिकल स्टोर, फर्जी क्लीनिक संचालकों पर कड़ी कार्रवाई करते हुए आमजन-मानस के जीवन से उपचार के नाम पर हो रहे खिलवाड़ को रोका जा सकें जो उ०प्र० लोकप्रिय मुख्यमंत्री का सपना हैं।
अक्सर यह देखा जा रहा है कि किसी अस्पताल के रजिस्ट्रेशन में जिन डॉक्टरों के पैनल का नाम होता है वह लोग कही और होते हैं और उनके नाम के सहारे झोलाछाप डॉक्टरों या फिर कह लें कि अप्रशिक्षित कर्मियों द्वारा मरीजों का इलाज किया जाता है और यदि इलाज के दौरान मरीज को कोई परेशानी होती है तो उक्त अप्रशिक्षित लोग मरीज पर तरह तरह के प्रयोग शुरू कर देते हैं परिणामस्वरूप कभी कभी कोई अप्रिय घटना घट जाती है। वहीं लोग दबी जुबान यह भी कह रहे हैं कि निजी अस्पतालों के संचालक स्वास्थ्य महकमे के आला अफसरों और स्थानीय प्रशासन को अपनी तरफ आँख मूंदे रखने की एवज में मुंह मांगी रकम देते हैं,जिससे जिम्मेदार अपना मुंह बंद रखकर तमाशबीन की मुद्रा में दिखायी देते हैं।

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