उत्तर प्रदेशसोनभद्र

जयगुरुदेव जी के ग्यारहवें पावन भण्डारा पर्व पर पधारने का निमन्त्रण दिया

बग्घा सिंह /असफाक कुरैशी

बीजपुर (सोनभद्र) 31 मार्च। समाज में परस्पर प्रेम, आपसी सौहार्द, धर्म-कर्म का सन्देश, आत्म कल्याण का भेद, शाकाहार-सदाचार का पाठ पढ़ाते हुये जयगुरुदेव धर्म प्रचारक संस्था, मथुरा के अध्यक्ष एवं परम सन्त बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के उत्तराधिकारी पूज्य पंकज जी महाराज कल अपने सत्रहवें पड़ाव पर जब ग्राम चेतवा के पास पहुंचे तो स्थानीय भाई-बहनों ने इस जनजागरण यात्रा का भावपूर्ण स्वागत किया। आज यहंा सत्संग समारोह का आयोजन हुआ। मंच पर अवधू सिंह यादव अध्यक्ष, डा. संजय कुमार शर्मा, आर. के यादव ब्लाक अध्यक्ष, अयोध्या प्रसाद केसरी आयोजक, भवानी सिंह व राजेन्द्र सिंह बघेल भूस्वामी, मायाराम जायसवाल, सोबरन यादव, प्रेमचन्द जायसवाल, विनोद भारती ग्राम प्रधान जरहा, गनपत गुर्जर ग्राम प्रधान नेमना, सहयोगी संगत आजमगढ़ के अध्यक्ष रामचरन यादव ने पुष्पहार भेंट कर महाराज जी का स्वागत किया।
अपने सत्संग सम्बोधन में महाराज जी ने कहा कि ‘‘बड़े भाग्य मानुष तन पाया, कोटि जनम भटका जब खाया’’ बड़े ही सौभाग्य से हम लोगों को ये मानव तन मिला। बड़े से बड़े देवता भी इस मानव तन को पाने के लिये तरसते हैं क्योंकि इन चौरासी लाख योनियों से उन नर्कों से निकलने का दरवाजा है। वह केवल मनुष्य का शरीर है। इसी मनुष्य मन्दिर में बैठकर हम उस परमात्मा की भक्ति कर सकते हैं। इसीलिये सन्तों महात्माओं ने इस पंच भौतिक शरीर को सच्चा हरि मन्दिर कह करके याद किया। ‘‘हरि मन्दिर यह शरीर है, ज्ञान रतन प्रकट होय।’’ जब भी वह मालिक मिलेगा इसी मनुष्य रूपी मन्दिर में मिलेगा। मुसलमान फकीरों ने इसे कुदरती काबा कह करके याद किया। गुरु नानक साहब ने इसे नर नारायणी शरीर कह करके याद किया। इसी पंच भौतिक शरीर को ईसामसीह ने टेम्पल आफ लिविंग गाड कह करके याद किया। यानि जिन्दा ईश्वर का मन्दिर कहा। परमात्मा जब भी मिलेगा तुम्हें तुम्हारे अन्दर मिलेगा। यही कबीर साहब ने कहा है कि ‘‘ज्यों तिल माही तेल है, ज्यों चकमक में आग। तेरा साईं तुझ में, जाग सके तो जाग। आपकी धर्म पुस्तकों में भी लिखा है कि ‘‘ मोको कहाँ ढूढ़े रे बन्दे, मैं तो तेरे पास में। ना तीरथ में ना मूरत में, मैं तो हूं विश्वास में।।
अब सवाल ये उठता है कि आखिर इस हरि मन्दिर में जा करके हम उस परमात्मा को कैसे प्राप्त करेंगे। इसके लिये महात्माओं ने इस कलयुग में केवल तीन साधन बतलाये पहला-सुमिरन यानि नाम का मौन जाप, दूसरा ध्यान यानि दोनों आंखों को बन्द करके अन्दर में एकाग्र होकर दूर देखना तथा तीसरा भजन यानि दोनों आंखों दोनों कान बन्द करके ऊपर की तरफ ऊँचा ध्यान देकर देववाणी, अनहदवाणी, कलमा को सुनना, छांटना और उसी में लय होना। प्रेमी भाई-बहनों यह सुरत शब्द योग (नाम योग) की साधना है। बाद में महाराज जी ने इस नाम योग की साधना को करने का तरीका भी बताया और कहा कि हमारे गुरु महाराज ने 116 वर्ष की आयु तक अथक परिश्रम करके इसी रास्ते पर करोड़ों लोगों को लगाया। उनका जीवन बदल कर बाल्मीकि सरीखा बना दिया और कहा कि यह जयगुरुदेव नाम उस प्रभु का जगाया हुआ नाम है। संसार के सभी जीव यदि इस नाम की जहाज पर एक साथ बैठ जांय तो भी यह जहाज सबको पार कर देगा। आप लोग कभी भी इस जयगुरुदेव नाम की परीक्षा कर सकते हैं।
महाराज जी ने देश के युवाओं पर चिन्ता व्यक्त करते हुये यह कहा कि युवाओं के पास शिक्षा की डिग्री तो है लेकिन संस्कार नहीं है और संस्कार कोई एम.ए.बीए. की डिग्री से नहीं मिलता है। संस्कार मिलता है तो महात्माओं के बचनों से, संस्कार मिलता है तो महात्माओं के सत्संग से। इसलिये आप जो अकेलेचले आते हो कि ये बच्चे हैं इनको सत्संग से क्या मतलब। ये आपकी सबसे बड़ी भूल है। अपने साथ बच्चों को भी लेकर सत्संग में आया करो। यही बच्चेे मां, बाप का नाम रोशन करेंगे और यही बच्चे देश का नाम रोशन करेंगे। यह देश की धरोहर है। इनको शाकाहारी बनाओ-सदाचारी बनाओ।
उन्होंने आगामी 17 से 21 मई तक जयगुरुदेव आश्रम मथुरा में होने वाले अपने गुरु महाराज परम संत बाबा जयगुरुदेव जी के ग्यारहवें पावन भण्डारा पर्व पर पधारने का निमन्त्रण दिया तथा बताया कि मथुरा में वरदानी जयगुरुदेव मन्दिर बना है जहां बुराईयां चढ़ाने पर मनोकामना की पूर्ति होती है। जिला-इटावा में तह. भरथना के गांव खितौरा धाम में बाबा जी की पावन जन्मभूमि है यहां पर भी भव्य वरदानी मन्दिर बना है। यहां सभी सम्प्रदायों के लोग आते हैं।
इस अवसर पर कमला प्रसाद मौर्य, धनन्जय शर्मा, नन्हकू सिंह, जगरूपन, फूल बदन मौर्य तथा संस्था के संस्था के महामन्त्री बाबूराम यादव, आश्रम मथुरा के प्रबन्धक व उत्तर प्रदेश संगत के प्रा. अध्यक्ष सन्तराम चौधरी, बिहार प्रान्त के अध्यक्ष मृत्युन्जय झा, उपदेशक डा. कुंवर बृजेश सिंह, म.प्र., शिवराज सिंह सहित हजारों श्रद्धालु उपस्थित रहे। शांति और सुरक्षा व्यवस्था में पुलिस प्रशासन ने सहयोग किया।
सत्संग के बाद धर्म यात्रा अपने अगले पड़ाव ग्राम वैरपान तह. दुद्धी के लिये. प्रस्थान कर गई, जहां कल (आज) दिन के 11.30 बजे से सत्संग आयोजित है

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