उत्तर प्रदेशसोनभद्र

*नहाए खाए से शुरू हुआ लोक आस्था का महापर्व छठ,बाजारों में खरीदारी को उमड़ी भीड़*

(छठ व्रत खरना आज व्रती महिलाएं अगले दिन देंगी आस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य)

बग्घा सिंह /असफाक कुरैशी

सोनभद्र / बीजपुर /चार दिनों के लोक आस्था के महापर्व छठ की शुरुआत शुक्रवार से नहाए खाए से शुरू हो गई है छठ व्रत करने वाली महिलाओं ने विधि विधान से नहाए खाए की पारंपरिक रस्म निभाई व्रती महिलाओं ने सुबह जलाशयों और घरों में स्नान के बाद शाम को कुट्टू चावल पका कर खाया शनिवार को खरना से निर्जल उपवास शुरू करेंगी। रविवार को अस्ताचलगामी और सोमवार को उगते सूर्य को अर्ध्य देकर व्रत का पारण होगा। छठ पूजा सामाग्री की खरीदारी के लिए शुक्रवार से ही पूरे दिन बाजार में चहल-पहल रही साथ ही छठ घाटों पर पूरे दिन चहल-पहल रही श्रद्धालुओं के साथ ग्राम पंचायत से संबंधित जनप्रतिनिधि और उनकी टीम स्वयं सेवक घाटों की व्यवस्था पूरी तरह दुरुस्त करने में लग रहे। बीजपुर स्थित दुधहिया देवी मंदिर, बीजपुर बाजार, तथा एनटीपीसी आवासीय परिसर स्थित लेक पार्क,शिव मंदिर समेत आस पास के गांवों में विभिन्न स्थानों पर बड़ी संख्या में लोग छठ पूजा वेदी बनाते नजर आए।
(खरना आज)_
छठ पर्व का दूसरे दिन खरना के इस दिन कार्तिक शुक्ल पंचमी तिथि का मन सुबह नौ बजकर 53 मिनट, पश्चात षष्ठी तिथि है इस दिन उत्तराषाढ़ नक्षत्र दिन भर और रात को एक बजकर 22 मिनट तक , इसके बाद श्रवण नक्षत्र और शूल तदुपरि वृद्धि नामक योग है

कोसी भरने की तैयारी में जूटे-
घर में किसी मांगलिक आयोजन या किसी मन्नत के पूरा होने के बाद छठ पर कोसी भरी जाती है
नगर के विभिन्न कॉलोनी एवं गली मोहल्ले व गांव के घरों में कोसी भरने की तैयारी है इसे लेकर इन परिवारों में जोरो से तैयारी चल रही है घर पर कोसी भरने में उपयोग में लाया जाने वाला मिट्टी का हाथी,कलश,दीए, गन्ना, फल आदि सामान जुटाने में लोग लगे रहे घर की साफ सफाई भी अच्छे तरीके से की जाती रही मान्यता है की सच्चे मन से छठ व्रत रखने से मनोकामना जरूर पूरी होती है। जिसकी मनोकामना पूरी होती है बहुत से लोग घाटों पर दंडवत करते हुए पहुंचते हैं। रामायण काल से ही हुआ व्रत का आरंभ मान्यता है कि भगवान सूर्य और माता छठ को समर्पित छठ व्रत का शुभारंभ रामायण काल से हुआ माता सीता ने इस व्रत को अपने पुत्रों को दीर्घायु के लिए किया था मान्यता यह भी है कि महाभारत काल में भी द्रोपदी के छठ व्रत के परिणाम स्वरूप पांडवों को राजपाट वापस मिला था

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