उत्तर प्रदेशसोनभद्र

कुलडोमरी के हज़ारो आदिवासी किसानो की भूमि 32 साल बाद भी नही हो पा रही है संक्रमणीय, आक्रोश

 अनपरा सोनभद्र l ग्राम पंचायत कुलडोमरी का सर्वे 32 वर्ष पहले फाइनल होने के बाद भी हज़ारो की संख्या मे आदिवासी वन वासी अपनी अपनी असंक्रमणीय जमीनों को संक्रमणीय कराने के लिए तहसील व अधिकारियो का चककर काट रहे है l बता दे कि आदिवासी बाहुल्य जनपद सोनभद्र के म्योरपुर ब्लाक अंतर्गत कुलडोमरी ग्राम पंचायत के खजुरा, मेडरदाह, हरीपुर, बीरन बहरा, लोझरा, पडरवा, डैनिया, डूडीयानार, अमहवा, वियहवा, मोहलाइनसूत, बैरपान, सिदाहवा, लोटे सहित दर्जनों गांव मे निवास करने वाले आदिवासी वनवासी आज भी अपनी अपनी जमीनो का संक्रमणीय कराने के लिए दुद्धी तहसील का चक्कर काटने को विवश है l संक्रमणीय भूमि नही होने से किसान क्रेडिट कार्ड, बैंक लोन, जमानत, पक्की पैमाइश सहित अन्य सरकारी सुविधाओं से वंचित है l जबकि शासनादेश है कि जिस किसान के पास असंक्रमणीय भूमि है वह पांच साल मे स्वतः संक्रमणीय हो जाएगी परन्तु कुलडोमरी के किसान इस शासनादेश से जहाँ आज भी वंचित है वही कुलडोमरी का सर्वे सन 1992 मे पूरा होने के बाद भी आज 32 साल बीतने को है पर किसानो की जमीन असंक्रमणीय से संक्रमणीय नहीं हो पा रही है l सिदहवा निवासी उमाशंकर, पिपरचंद, सर्वजीत, बेनादाह निवासी शोभा, खजुरा निवासी गुजराती देवी, राजेश, राम ईश्वर, जगमतिया आदि का कहना है कि कुलडोमरी मे 80 प्रतिशत किसान एससीएसटी व आदिवासी वनवासी है इनको मुख्य धारा मे लाने की सरकार की सारी कवायद कागजो पर सीमित है l गरीबो के हितैषी बनने वाली प्रदेश सरकार के अधिकारी गरीब आदिवासियो का शोषण कर रहे जो चढ़ावा चढ़ाता है उसी के काम हो रहे है बाकी लोग दर बदर की ठोकरे खाने को मजबूर है l कुलडोमरी के ग्राम प्रधान वीरमती ने समाज कल्याण राज्य मंत्री को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग भी की है l इस सम्बन्ध मे उप जिलाधिकारी सुरेश राय का कहना है कि असंक्रणीय भूमियो का जांच कर संक्रमणीय करने का कार्य किया जा रहा है l

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