बिजली विभाग की लापरवाही के कारण हाई वोल्टेज के चपेट में आने से दो गायों की हुई मौत
उमेश सागर,
शक्तिनगर
पशुओं में सबसे सीधी माने जाने वाली गाय को गौ माता का दर्जा दिया गया है। लेकिन कुछ लोगों की लापरवाही ने गाय को संकट में लाकर खड़ा कर दिया है। अगर इसी तरह संकट में हमेशा गाय माता रहेगी तो यूपी सरकार की महत्वकांक्षी योजना गौशाला पर ज्यादा खर्चा करना जनता के पैसे का बंदरबांट होगा। जिस गौ माता को या तो घर में होना चाहिए या फिर गौशाला में उस गाय माता को खुले में छोड़कर उनकी मौत को दावत दिया जा रहा है। ऐसी दुःखदाई घटना शक्तिनगर थाना क्षेत्र में देखने को मिली है। जहाँ बिजली विभाग की लापरवाही के कारण दो गाय की मौत हो गई। मिली जानकारी के अनुसार कोटा सब स्टेशन परसवार चौबे से तारापुर पुल पहाड़ों के नीचे नीचे 11000 हजार की मेन लाइन गई है। कई वर्षों पहले पोल झुक चुका है व तार पूरी तरह से जर्जर हो चुका है। लेकिन बिजली विभाग के अधिकारियों की नींद भी नहीं खुल रही। जिसका खामियाजा 2 गौ माता को अपनी जान देकर चुकाना पड़ा। बताया जा रहा है कि, डी बाबा मंदिर के पास दो दुधारू गाय पेट से थी, चारा चरने गई थी। लेकिन दोनों गाय हाई वोल्टेज की चपेट में आने के कारण उनकी मौके पर ही मौत हो गई। ग्रामीणों की माने तो यह पहला मामला नहीं है। बिजली विभाग की लापरवाही से आए दिन पशुओं की मौत होती रहती है। बिजली विभाग के जेई साहब को फोन करो तो फोन नहीं उठाते हैं। ग्रामीणों ने बताया कि, जल्द ही जर्जर तार सही नहीं हुआ तो हम ग्रामीण आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। जिसकी जिम्मेदारी पूरी बिजली विभाग की होगी। अब सवाल यह उठता है कि, आज पशु ही हाई टेंशन तार की चपेट में आये है। अगर खुदा न खास्ता कोई व्यक्ति तार की चपेट में आ जाये तो दोषी कौन होगा। पेट से गाय की मौत ने सबको झकझोर कर रख दिया है। जबकि
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वैदिक, पौराणिक, सांस्कृतिक महत्व व सामाजिक उपयोगिता को देखते हुए गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने का सुझाव दिया है। कोर्ट ने कहा कि भारत में गाय को माता मानते हैं
कोर्ट ने गाय को सरकार से राष्ट्रीय पशु घोषित करने की बात कही है। कोई भी गाय को नहीं मार सकता। गौ रक्षा और संवर्धन किसी एक धर्म के बारे में नहीं है, बल्कि गाय भारत की संस्कृति है और संस्कृति को बचाने का काम देश में रहने वाले हर नागरिक का है, चाहे वह किसी भी धर्म या पूजा का हो। अब ऐसे में
सिर्फ बिजली अधिकारी ही दोषी नहीं है, वो तमाम लोग दोषी है। जो ज़र्ज़र तार को बदलवाने के लिए अधिकारियों पर दबाव नहीं बनवा पा रहे। तमाम हिन्दू संगठन भी दोषी है, जो गाय की सुरक्षा की बात करते है। स्थानीय प्रशासन भी उतना ही दोषी है, जितना बिजली विभाग। अब गाय की मौत के बाद भी अधिकारियों की नींद नहीं खुलती तो सरकार को उनके खिलाफ उच्चित कदम उठाना ही होगा। अगर जल्द ही तार की ज़र्ज़र स्थिति को दुरुस्त नहीं किया गया तो। सरकार को लेटर व ट्वीट करके दोषी अधिकारियों की शिकायत की जाएगी।