सुरक्षा-संरक्षा,एक्सरे के अभाव में दयनीय हालत में रेलवे हॉस्पिटल, खुद ही पड़ा हैं बीमार।
धनबाद से इंशपेक्शन में आए आए अधिकारियों की नजर क्यूं नहीं पड़ता इस रेलवे हास्पिटल पर नजर,सोचनीय बिषय।
अशोक मदेशिया
संवाददाता
चोपन/सोनभद्र। सन् 1985 में निर्मित हास्पिटल अपनी बदहाली पे आंसू बहा रहा हैं जबकि यह हास्पिटल रेलवे में काम करने वाले कर्मचारियों और उनके परिजनों के इलाज के लिए बनवाया गया मगर रेल अधिकारियों की अनदेखी के कारण आज यह हास्पिटल मात्र शो पीस बनकर रह गया हैं। इसके लिए जिम्मेदार कौन हैं कर्मचारी या यहां निवास करने वाले रेल के उच्चाधिकारी।
एक तरफ रेल मंत्रालय अपने विभाग को हाईटेक करने में करोड़ों खर्च कर रहा है नित नई नई योजनायें बनाई जा रही हैं चोपन से गढ़वा रूट के दोहरीकरण से लेते हुए चोपन जक्सन को चमकाने मे पानी की तरह पैसा बहाया जा रहा है वहीं दूसरी तरफ अगर हम चोपन में स्थित रेलवे अस्पताल की बात करें तो आश्चर्य होता है कि यहाँ पर स्थित रेलवे अस्पताल खुद ही सुरक्षा-संरक्षा के आभाव में बीमार पड़ा हुआ है जिसकी सुध लेने वाला यहां से लेकर धनबाद कोई अधिकारी नहीं है। जानकारी के मुताबिक स्थानीय रेलवे स्टेशन जिले का सबसे बड़ा रेलवे स्टेशन होने के बावजूद चोपन में स्थित रेलवे स्वास्थ्य केंद्र की सुविधाएं भगवान भरोसे चल रहा है देखने मात्र से ही समझा जा सकता है कि स्वास्थ्य केंद्र के नाम पर कोरा मजाक बना हुआ है न रंगाई न पुताई अस्पताल में भर्ती से लेकर एक्सरे,अल्ट्रासाउंड पैथालाजी आदि की कोई सुविधा नहीं है। जिसके डर से रेलवे विभाग में कार्यरत बहुत ही कम कर्मचारी यहाँ इलाज कराने आते हैं यदि कोई मरीज आ भी गया तो प्राथमिक उपचार के बाद गंभीर होने की स्थिति में उसे रेफर कर दिया जाता हैं। एंबुलेंस सुविधा न होने से मरीज को डिवीजन अस्पताल जाने में तीमारदारों को खासी मशक्कत करनी पड़ती हैं। और तो और रेलवे अस्पताल तक जाने वाली रोड भी खस्ताहाल में है सड़क देख कर लगता ही नहीं है कि यह अस्पताल तक पहुचने का मार्ग है फिलहाल कर्मचारियों को उम्मीद लगी रहती है कि कभी तो स्टेशन के साथ-साथ अस्पताल का भी कायाकल्प होगा और सुविधाएं भी बढ़ेंगी। परन्तु वर्तमान समय मे स्टेशन के साथ साथ चोपन में ही करोड़ों रुपये का कार्य रेलवे द्वारा किया जा रहा है साथ ही अनेकोनेक सुविधायें बढ़ रही हैं परंतु रेलवे अस्पताल की तरफ किसी की नजर नहीं जा रही है जबकि विढंमगंज से लेकर सिंगरौली तक के रेलकर्मियों के लिए इसका स्थापना हुआ था फिर भी लोगों का मानना है कि विकास हो रहा है और सुविधाएं भी बढ़ने की उम्मीद है। लेकिन स्वास्थ्य केंद्र की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया जाता है। अस्पताल में महज एक डाक्टर,एक नर्स, फार्मासिस्ट व वार्ड ब्याय ही तैनात हैं। अस्पताल में कहने को तो बेड है लेकिन यहां मरीज को भर्ती करने की कोई व्यवस्था नहीं हैं। कर्मचारियों का कहना है कि स्टाफ की कमी के कारण मरीजों को भर्ती नहीं किया जाता हैं। इसके अलावा अस्पताल में एक्सरा, पैथालाजी, अल्ट्रासाउंड आदि की कोई व्यवस्था नही हैं। आवश्यकता पड़ने पर यह सभी जांचें बाहर से कराई जाती हैं। गंभीर मरीजों को डिवीजन अस्पताल ले जाने के लिए एक अदद एंबुलेंस भी नहीं हैं। रेलवे कर्मचारियों का कहना है कि चोपन से रेलवे धनबाद डिवीजन की दूरी लगभग 500 किमी है। मरीज को वहां तक ले जाने में कई कई घंटे का समय लगता हैं। कुछ घंटे मरीज को ले जाने के लिए वाहन की तलाश में ही बीत जाता हैं। जिससे गंभीर मरीज समय से डिवीजन अस्पताल नही पंहुच पाते हैं रास्ते में दम तोड़ देते हैं।