सोनभद्र प्रशासन के दावे की पोल खोलती एक मां की जुबानी,कैसे दम तोड़ दिया (1)वर्ष मासूम ने मां की गोद में।

अशोक मदेशिया
संवाददाता
चोपन/सोनभद्र । उ०प्र० सरकार कहती है कि उसकी योजना तभी सफल होगी जब उस योजना का लाभ दूर-दराज के गांवों में बसें अंतिम व्यक्ति तक पहुंचेगा। आजादी के (74) वें वर्ष में भी अंतिम व्यक्ति किस हालात व मुसीबतों से जूझ रहा है यह योजना लागू कराने वालों को पता ही नहीं हैं या प्रशासन द्वारा शासन को ग़लत रिपोर्ट भेजा जाता है कि सरकारी योजनाओं का लाभ समाज के अन्तिम व्यक्ति को शासन की सभी योजनाओं का लाभ मिल रहा हैै।
कुछ ऐसा ही मामला विकास खंड चोपन के ग्राम सभा पनारी के अंतर्गत स्थित मंगरहवा टोला में 10 जनवरी की घटना वाकई झकझोर देने वाली घटना है। मंगरहवा गांव के निवासी हीरा- लाल पुत्र दशरथ खरवार का मासूम बालक इलाज के अभाव में मां की गोद ही दम तोड़ दिया।
अति पिछड़ा गांव मंगरहवा में पहुंचने के लिए कोई रास्ता नहीं है ग्रामीण आज भी लोग पगडंडियों का सहारा लेकर आते-जाते हैं । रास्ता न होने से न गांव में एम्बुलेंस जा पाती है और न सही समय पर घटना के बाद पुलिस व अधिकारी। मासूम बालक की मौत को लेकर हीरालाल और उनकी पत्नी सुवासी देवी ने बताया कि उनके एक साल के बेटे पंकज को तेज बुखार हो गया था गांव तक एम्बुलेंस नहीं पहुंच पायेगा इसे देखते हुए हीरालाल व सुवासी काफी परेशान थे। बच्चे की स्थिति बिगड़ते देख मां-बाप ने स्थानीय झोलाछाप डॉक्टर से सम्पर्क किया लेकिन वह भी रास्ता खराब होने का हवाला देकर आने से मना कर दिया और ग्रामसभा बेलहत्थी के आंमी बस्ती तक पुत्र को लाने के लिए कहा। जिसके बाद मां-बाप बच्चे को लेकर आंमी बस्ती में अपने रिश्तेदार के घर पहुंचे।
मां सुवासी देवी ने बताया कि झोलाछाप डॉक्टर द्वारा कड़ाके की ठंड में बीमार बच्चे को नाले के बहते पानी से स्नान करा दिया और फिर इंजेक्शन लगाते हुए एक सिरप को पिलाया जिसे पीते ही मासूम की मौत हो गई। सुवासी ने बताया कि बच्चे की मौत होते ही झोलाछाप डॉक्टर मौके से फरार हो गया। विडंबना देखिये बच्चे की मौत के बाद मां-बाप किसी अधिकारी को अपना दुखड़ा बता भी नहीं सके और घर पर आंसू बहा रहे हैं।
आप सभी को अवगत कराते चलें कि हीरालाल खरवार की यह कोई पहली घटना नहीं है दूर-दराज के गांवों में ऐसे तमाम लोग हैं जो बेहतर चिकित्सा के अभाव में दम तोड़ देते हैं। गांव के ग्रामीण
दिलावंती देवी, कलावती देवी, बुधी, हरदेव सिंह, रामअवतार, बाबूलाल,आश सिंह,का कहना हैं कि गांव में यदि सड़क निर्माण हुआ होता तो एंबुलेंस आ जाती और मासूम को बेहतर चिकित्सा मिल सकता था।