राष्ट्रीय शैक्षिक समागम,हरिद्वार में हुआ संपन्न
दिनांक 14 जून 2024 को राष्ट्रीय शैक्षिक समागम, हरिद्वार में आयोजित किया गया। उक्त कार्यक्रम में प्रदेश एवं कई राज्यों से शिक्षक/लेखक शामिल हुए। कार्यक्रम में कुल 6 महत्वपूर्ण पुस्तकों का विमोचन हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथि द्वारा माँ सरस्वती के चित्र पर दीप प्रज्वलन एवं माल्यार्पण कर प्रारंभ किया गया। हिंदी साहित्य के अनमोल मोती, सम्पादक-मनीष देव, सह सम्पादक- अमिता सचदेव, स्वालंबन (तृतीय संस्करण) संपादक-मनीष देव, सह सम्पादक- डॉ.अनिल चौबे, डॉ. रजनी रंजन जायसवाल, हरि मंजरी, सम्पादक-रीना गुप्ता की महत्वपूर्ण पुस्तकों का विमोचन हुआ।
हरि मंजरी में ‘बेसिक शिक्षा विभाग के कंपोजिट विद्यालय मल्टीस्टोरी रॉबर्ट्सगंज ,सोनभद्र में सहायक अध्यापक के पद पर कार्यरत श्रीमती गायत्री त्रिपाठी के लेख को सम्मिलित किया गया ।कार्यक्रम में अतिथि के रूप में वरिष्ठ एवं राष्ट्रीय साहित्यकार श्री रजनीकांत शुक्ल, श्री रमेश रमन, श्री भूदत्त शर्मा, उत्तराखंड Scert के राज्य समन्वयक, नियोजन, डॉ अजय कुमार चौरसिया की गरिमामयी उपस्थिति रही। कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में 10 राज्य शिक्षक पुरस्कार प्राप्त शिक्षकों द्वारा पुरस्कार के संदर्भ में विशेष सत्र एवं उन्मुखीकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया।
उक्त कार्यक्रम का संयोजन “सृजन” अंतरराष्ट्रीय कला, साहित्य, संस्कृति न्यास अयोध्या के राष्ट्रीय संयोजक मनीष देव के नेतृत्व में आयोजित किया गया। कार्यक्रम में संतोष कुमार, पंकज आर्या, सुरेश कुमार, श्री प्रकाश पाठक (जिला संयोजक) “सृजन” अयोध्या, मांडवी सिंह, सरिता तिवारी, अनुराधा बब्बर, आशीष कुमार आदि का महत्वपूर्ण योगदान रहा। सभी पुस्तकों में कुल 132 शिक्षकों के लेख/शोध पत्र/ गीत आदि संकलित किए गए हैं। कार्यक्रम में “सृजन” की झारखंड राज्य की प्रदेश संयोजक पूनमलता की पुस्तक हिंदी साहित्य के बदलते परिदृश्य, ऋण शोध एवं “सृजन” की उत्तराखंड राज्य की प्रदेश संयोजक मीना रवि की पुस्तक माता-पिता का आशीर्वाद का भी विमोचन हुआ। “सृजन” अंतरराष्ट्रीय कला, साहित्य, संस्कृति न्यास अंतर्गत कई प्रदेशों में प्रदेश संयोजक एवं उत्तर प्रदेश में जिला संयोजक/सह-संयोजक का मनोनयन हो चुका है, एवं प्रक्रिया जारी है। वर्ष 2025 में अयोध्या में इस कार्यक्रम को और वृहद रूप में आयोजित किया जाएगा। कार्यक्रम का सफल संचालन पंकज आर्या द्वारा किया गया। कार्यक्रम के अंत में सभी को धन्यवाद ज्ञापित कर कार्यक्रम का समापन किया गया।