नई दिल्ली। भारत के समझाने के बावजूद जिस तरह से नेपाली संसद ने नेपाल के नए मानचित्र को जारी करने संबंधी प्रस्ताव को पारित किया है वह दोनो देशों के रिश्तों पर बहुत ही उल्टा असर डाल सकता है। भारत ने नेपाल सरकार की तरफ से लाये गये इस प्रस्ताव के पारित पर होने पर अपना कड़ा ऐतराज जताया है। भारत ने फिर दोहराया है कि लिपुलेख, कालापानी व लिपिंयाधुरा पर नेपाल के दावे के पीछे कोई साक्ष्य नहीं है।
यह नेपाल को लेकर भारत के विदेश मंत्रालय में उपज रहे गुस्से को भी बताता है। जानकार मान रहे हैं कि नेपाल ने भारतीय जमीन को अपने आधिकारिक मानचित्र में शामिल कर इस समस्या का कूटनीतिक समाधान निकालने के रास्ते काफी संकुचित कर दिए हैं। ऐसे में दोनो देशों की तरफ से सीमा विवाद सुलझाने के लिए गठित विशेष समिति के भविष्य पर भी सवाल लग गया है।