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डाला बिल्ली मारकुंडी खदान में नियमों की अनदेखी कर पोकलेन मशीन से हो रहा है खनन।

(अनिल जायसवाल ,क्राइम जासूस)

डाला सोनभद्र ।
बिल्ली मारकुंडी के पत्थर खदान में पोकलेन मशीन के संचालन पर रोक लगाने श्रमिकों को रोजगार दिए जाने एवं हैवी ब्लास्टिंग पर प्रतिबंध लगाए जाने के संदर्भ में अपर जिला अधिकारी को अपना दल एस श्रमिक मंच के प्रदेश अध्यक्ष अंजनी पटेल ने ज्ञापन देकर अवगत कराना है कि बिल्ली– मारकुंडी में संचालित लगभग दर्जनों खदानों में बड़े पैमाने पर पोकलेन मशीन द्वारा बिना अनुमति के खनन कार्य किए जाने से क्षेत्र के सैकड़ों छोटे पेटीदार एवं हजारों श्रमिकों का रोजगार पूरी तरह से समाप्त हो गया है।

पहले यही श्रमिक उक्त खदानों में कार्य करके अपने परिवार का भरण पोषण करते थे। मशीनों का संचालन बड़े पैमाने पर होने से श्रमिकों का रोजगार पूरी तरह से छिन गया है। पोकलेन मशीनों पर प्रतिबंध लगाकर सैकड़ों छोटे-बड़े पेटीदारो एवं श्रमिकों को ज्यादा से ज्यादा रोजगार उपलब्ध कराया जाए एवं खनन क्षेत्र में कार्य करने वाले समस्त पेटिदार, ठेकेदार,श्रमिक, रेजा, ब्लास्टर और फोरमैन आदि का रिकॉर्ड बुक रजिस्टर मेंटेन किया जाए। साथ ही खदानों में लगे श्रमिकों को खदान मालिकों द्वारा सुरक्षा किट उपलब्ध कराया जाए एवं सभी श्रमिकों का श्रम विभाग में पंजीयन कराना अनिवार्य कराया जाए ताकि दुर्घटना हादसे के समय संबंधित लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सके डाला बाड़ी बिल्ली – मारकुंडी ओबरा क्षेत्र में आवासीय क्षेत्र से सटे खदानों में प्रतिदिन भयंकर अनियंत्रित हुई ब्लास्टिंग से मकानों स्कूल कालेज मंदिर में दरार पड़ने व क्षति ग्रस्त होने से लोगों के अंदर काफी भय व्याप्त है। जिससे भूजल स्तर भी काफी नीचे गिरता जा रहा है। और पेयजल का संकट गहराता जा रहा है। इसके अलावा प्रदूषण विभाग के मानकों के विपरीत लगभग 300 क्रशर प्लांट द्वारा बड़े पैमाने पर प्रदूषण फैलाने के कारण आसपास के सटे क्षेत्र में निवास करने वाले परिवार और बच्चों के ऊपर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ा है। जिससे तेजी से सभी लोगों में प्रदूषण युक्त गंभीर बीमारियां फैल रही हैं। जबकि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा उक्त क्षेत्र को क्रिटिकल जोन एरिया घोषित किया गया उसके बावजूद भी प्रदूषण पर अस्थाई रूप से रोक नहीं लग पा रहा है। लोग प्रदूषित वातावरण दूषित पेयजल पीने को विवश हैं। उक्त सभी मामले को गंभीरता से लेते हुए उसका अपेक्षित निस्तारण कराएं जाने की मांग की ताकि केंद्र व राज्य सरकार की मंशा के अनुरूप क्रेशर व खदान व्यवसाय संचालित हो और उस में कार्यरत छोटे पेटीदार एवं श्रमिकों को रोजगार मिले और सभी को स्वच्छ वातावरण मिलाके सके।

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