अपडेट::केवली गौशाला में लापवाही आयी सामने , 7 बेजुबानों की हुई मौत
घोरावल(पी डी)सोनभद्र: घोरावल ब्लॉक के केवली गांव में स्थित गौशाला असुविधाओं की मार झेल रहा है। इस कड़ाके की ठंड में वहां रखे गए बेजुबान में से अभी हाल में 7 गायों की मौत की जानकारी मिली है। लेकिन संबंधित अभी इस मामले में स्पष्ट जवाब नहीं दे रहे हैं, टालमटोल कर रहे हैं। और मौके पर 2 गायों की हालत बेहद चिंताजनक है। आश्रय स्थल से 1 किलोमीटर के रेंज के भीतर केवली तिलौली नहर वाले मार्ग पर रविवार को चार मृत गाय नहर के भाग में पड़ी मिली।आशंका व्यक्त की जा रही है कि आश्रय स्थल में मरे हुए गायों को यहीं पर ठिकाना लगाया गया है।केवली स्थित वृहद गौ संरक्षण केंद्र परिसर में 4 शेड बनाए गए हैं। औसतन एक शेड में 50 गाय रखने की व्यवस्था है। कुल मिलाकर 200 गायों की क्षमता बताई जा रही है। बेजुबानो को खाने के लिए भूसे की व्यवस्था के लिए दो भूसा कक्ष निर्मित है। लेकिन भूसे के अलावा बहुत सी ऐसी चीजें हैं जो इन बेसहारा पशुओं को मिलनी चाहिए ऐसा कुछ भी मौके पर नहीं है। चूनी चोकर खरी नमक हरा चारा की उपलब्धता होनी चाहिए लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है। 16 अक्टूबर 2020 को क्षेत्रीय विधायक द्वारा बृहद गो संरक्षण केंद्र का उद्घाटन किया गया था। उस समय गाय की संख्या कम थी जो वर्तमान में पिछले दिनों 165 पहुंच गई थी। मौके पर पड़ताल करते समय 159 गाय की मौजूदगी संरक्षण केंद्र में बताया गया। कड़ाके की ठंड में उनके रहने के लिए व्यवस्था तो बनाई गई है लेकिन जो पूरी तरह से कारगर नहीं है। तिरपाल के पर्दे टांग दिए गए हैं लेकिन ठंड से राहत मिलने के लिए बोरा तथा अलाव की कोई व्यवस्था नहीं है। जिसमें ठंड के मौसम में हीटर की व्यवस्था होनी चाहिए वह भी नहीं है। उसी केवली गांव के निवासी दंपत्ति प्रेमा तथा बैजनाथ को पशुओं के रहन सहन देखभाल के लिए लगाया गया है। दंपत्ति ने बताया कि उन्हें मिलने वाली मजदूरी भी समय पर उपलब्ध नहीं हो पा रही है। मृत पशुओं को दफनाने के लिए ट्रेंच बनाया गया है। देखभाल करने वाले दंपति ने बताया कि इतने सारे पशुओं को 8 कुंतल भूसा प्रतिदिन दिया जाता है। औसतन 5 किलो भूसा एक गाय पर पड़ता है लेकिन ठीक ढंग से गाय चारा खाए तो 8 किलो भूसा तक खा सकती है। बताया गया कि एक गाय को पालने के लिए 30 रुपये का मानक तय है। मौके पर मिले घोरावल ब्लॉक के उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ जय सिंह के मुताबिक 16 अक्टूबर 2020 को इस केंद्र का उद्घाटन हुआ तब से लेकर अब तक कुल 6 गायो की मौत हुई है। बताया कि शव निस्तारण के लिए परिसर के भीतर जेसीबी से खुदाई कराकर बड़ा टेंच/गड्ढा बनाया गया है, उसी में दफनाया जाता है। अभी हाल में कोई मौत नहीं हुई है। दो गाय बीमार है जिनका उपचार किया जा रहा है।