प्रकृति की गोंद मे है अनमोल खजाना
प्रकृति की गोंद मे है अनमोल खजाना
40 ग्राम पंचायतों मे वनो की सुरक्षा कैसे करें वनकर्मी
मानवरूपी दानव के आगे वनकर्मी विफल
बभनी(अजीत पान्डेय)सोनभद्र प्रकृति की गोद मे बसा बभनी विकास खण्ड आज अपनी दुखभरी दास्तां खूद ही बयां नही कर पा रहा है छत्तीसगढ़ से चारो तरफ से सटा बभनी के जंगल का समूचा अस्तित्व संकट मे पड़ा करुण वेदना से कराह रहा है और मानवरूपी दानव अपने चंद सिक्के की खनखनाहट के चक्कर मे इतना
वेवफा हो गया हो मानो उन्हें प्रकृति से कोई लगाव ही न रह गया हो इसका जीता जागता उदाहरण बभनी विकास खण्ड के जंगलों मे बसे गांवो मे देखने को मिल सकता है आलम यह है कि बभनी विकास खण्डों मे कुल 40 ग्राम पंचायत है और लगभग सैकड़ों गांव समाहित है जंगलों को सुरक्षित एवं संरक्षित करने के लिये वन विभाग भी मुस्तैद है और शासन पर भी जांच चलती रहती है कि वनो का अस्तित्व बचा रहे प्राप्त जानकारी के लिए बता दे कि बभनी वन रेंज मे कुल 13 बीट है और वनकर्मियों की संख्या माने तो छ .वनरक्षक .तीन वनदरोगा और एक वनक्षेत्राधिकारी की तैनाती बभनी के वनो को सहेजने और बचाव के लिए है । गौर करनेवाली बात तो यह है कि इतनी कम संख्या मे तैनात वनकर्मी कैसे जगलो के अस्तित्व को बचा पायेंगे यह एक यक्ष प्रश्न बन खड़ा है दुसरी ओर मानव रुपी दानव तू डाल डाल मै पात पात की कहावत को चरितार्थ करने बाज नही आ रहे है दिनरात खनन माफिया रात के अंधेरे मे नयी नयी चीजे तलाश कर अपना काम करते जा रहे है जिससे वन
वीरान बनता जा रहा है बावजूद इसके वनकर्मी धड़पकड़ मे पिछे नही है लेकिन जब तक वनकर्मी पहूँचते तब तक वन माफिया अपना काम कर रफ्फूचक्कर हो जाते है जगह जगह अवैध खनन अवैध कटान का धंधा रातोदिन फलताफूलता रहता है सूरसारुपी मूँह बाये मानवरूपी दानव मे थोड़ी भी मानवीय संवेदना नही है कि प्रकृति से खिलवाड़ करना प्राणघातक होता है इस बावत वनक्षेत्राधिकारी अवध नारायण मिश्रा से वार्ता की गई तो उन्होंने बताया कि हमारे यहां स्टाफ की कमी है और वनक्षेत्रफल बड़ा है बावजूद इसके हम और हमारे सहकर्मी दिनरात मूस्तैद है बभनी मे कुल13 बीट मे सैकड़ो गांव है और एक बीट मे तीस से पैतीस की संख्या मे गांव है छापेमारी चलती रहती हैं । एक समय था कि बभनी के जंगलों मे साल . शीशम . सागौन . पलाश . साखू सहित कई बेशुमार बेशकीमती पेड़ थे साथ में वनौषधियाँ भी भरपुर उपलब्ध थी लेकिन आज इन दानव रुपी मानवो ने समूचे जंगलों के अस्तित्व को ही खत्म कर दिया जिससे आज जीवनदान देने वाली प्राणवायु भी खतरे मे है