उत्तर प्रदेश

भगवान् जाति पाति नही देखते

सोनभद्र:सदर तहसील के ग्राम कबरी में पं0 विद्याधर इण्टर कालेज के प्रांगण में हो रहे पांच दिवसीय श्री राम कथा ज्ञानयज्ञ के दूसरे दिन प्रयागराज के पावन भूमि से पधारे बाल व्यास श्री मुरारी जी शास्त्री ने श्रोताओं को बताया कि सबरी के संदेह को दूर करते हुए राम भगवान् ने कहा कि
“जाति पाति कुल धर्म बड़ाई ।
धन बल परिजन गुन चतुराई ।।”
इन दस चीजों से मेरा कोई मतलब नहीं होता मैं तो अपने भक्त के निश्छल भक्ति से ही प्रसन्न हो जाया करता हूॅ ।
कथावाचिका मानस माधुरी श्री मती सुनीता पाण्डेय ने अपने मधुर संगीतमय स्वर से श्रोताओं को मन्त्रमुग्ध करते हुए कहा कि मृत्युलोक में भगवान मनुष्य के सरल रूप में आए और इस रूप के माध्यम स उन्होंने समस्त मानव जाति को शिक्षा प्रदान की उनकी ही फैला से मनुष्य को दुर्लभ भक्ति प्राप्त होती है गोस्वामी जी ने रामायण में लिखा भी है कि ” बड़े भाग्य मानुष तन पावा, सूरत दुर्लभ हरी ग्रंथहि गावा अर्थात मनुष्य तन ही ऐसा है जिसमें हम ट्रक के अपार गुणों का गुणगान करते रहते हैं देवी भागवत के अनुसार पृथ्वी पर ऐसी चीजें मिलती हैं जो स्वर्ग में भी उपलब्ध नहीं है उन चीजों में ईख का रस, गाय का दूध, पान सुपारी, बालक की तोतली भाषा, कवित्री यों की वाणी, और स्त्री का कटाक्ष है उन्होंने कहा कि ईश्वर की भक्ति ठीक उसी प्रकार से है जैसे “तुलसी पंक्षी के पीए घटे न सरिता नीर ।
धरम किए धन ना घटे जौ सहाय रघुवीर ।।”समझाते हुए उन्होंने कहा कि यह मनुष्य का जीवन अत्यंत दुर्लभ एवं क्षण भंगुर है ।अतः धर्म के कार्य के लिए समय का इंतजार नहीं करना चाहिए ।धर्म का कार्य करने से धन कम नहीं होता बल्कि भगवान् उसे द्विगुणित, त्रिगुणित कर देता है ।कार्यक्रम में अध्यक्ष श्री नन्दगोपाल पाण्डेय, संचालक श्री श्रवण कुमार पाण्डेय,श्री प्रभाकर देव ,श्री राकेश देव, श्री अरविंद पाण्डेय,श्री राजेंद्र मौर्य, श्री सच्चिदानंद, श्री अवधेश देव श्री अनिल सिंह पटेल श्री संजय देव सहित श्रोताओं से रामकथा पंडाल खचाखच भरा रहा ।

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