बड़े ही अकीदत और शांति माहौल में मना चलिस्वा मोहर्रम का त्यौहार*
हर जुल्म और आतंकवाद के खिलाफ आवाज उठाने का नाम मुहर्रम है (हाफिज शरीफ खान)*

मुस्तकिम खान सोनभद्र
करमा सोनभद्र करमा थाना अंतर्गत ग्राम पगिया में मोहर्रम चालीस्वा का त्यौहार बड़े ही अकीदत व शांति माहौल में मना जुलूस में बूढ़े बच्चे नौजवानों ने नौहा पढ़ते हुए मातम करते हुए आगे बड़ रहे थे या हुसैन या हुसैन के नारों से पूरा गांव गूंज रहा था वही ताजिया गली चौराहों सड़कों पर रुक कर नात नौहा इमाम हुसैन की शहादत बयान करते हुए अपनी जुलूस को लेकर आगे बढ़ रहे थे हाफिज शरीफ खान ने बताया कि आज से 14 सौ साल पहले इराक में याजीद नाम का एक जालिम बादशाह जो इंसानियत का दुश्मन था जो खुद को मुसलमानों का रहनुमा मानता था जबकि उसके अंदर दुनिया की हर बुराई भरी हुई थी वह चाहता था कि इमामे हुसैन अपना रहनुमा/बादशाह हमें मान ले लेकिन इमाम हुसैन को यह मंजूर नहीं था
उन्होंने अत्याचार जुल्म के खिलाफ आवाज उठाया तो यजीद को नागवार लगा और उसने इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों को कैद कर लिया और 3 दिन भूखा प्यासा रखकर कर कत्ल कर डाला उसने सोचा कि अब पूरी दुनिया हमें अपना खलीफा तस्लीम करेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ हुसैन कत्ल होकर भी जीत गए और यजीद जीत कर भी हार गया इसी याद को ताजा करने के लिए मोहर्रम की 10 तारीख को ताजिया जुलूस निकालकर इमाम हुसैन की याद मनाई जाती है और फिर चालीस दिन बाद चालीस्वा मनाया जाता है और दुनिया को यह पैगाम दिया जाता है कि जुल्म सहो नहीं बल्कि जुल्म खिलाफ उठो और आवाज उठाओ जीत हक की होती है। इस मौके पर किंगरी , पगिया,चुनार आदि जगहों की टीमों ने अपने अपने कला का प्रदर्शन कर लोगों को मोह लिया साथ ही करमा थाना प्रभारी देवेन्द्र प्रताप सिंह अपने पूरे दल बाल के साथ क्षेत्र का भ्रमण करते रहे ।