उत्तर प्रदेश

वन विभाग व स्थाई प्रशासन डाल डाल-डाल तो चोपन गांव के बालू माफिया पात-पात

वन विभाग व स्थाई प्रशासन डाल डाल-डाल तो चोपन गांव के बालू माफिया पात-पात

स्थानीय चोपन गांव के बालू माफियाओं ने बालू बेचने का निकाला नया तरीका नीचे बालू ऊपर हल्का मिट्टी का लेयर धड़ल्ले से बेच रहे हैं बालू

चोपन(संवाददाताअशोक मद्धेशिया)चोपन गांव क्षेत्र अंतर्गत जब से वन विभाग की टीम ने नदी के किनारे जाने वाले रास्तों को जेसीबी से खोदवा दिया है तब से कुछ दिनों तक चोपन गांव के बालू माफिया शांत थे इधर फिर बालू माफियाओं ने बालू बेचने का नया तरीका ढूंढ लिया चोपन गांव में कुल 4 गिरोह बालू बेचने में पूर्ण रूप से फिर सक्रिय हो गया तथा यह लोग रास्ता बदलकर गांव में मिट्टी का टीला काट कर के उसके नीचे का बालू निकाल कर बड़े आराम से अवैध बालू निकाल कर के टिपर बिक्री कर रहे है लेकिन मिट्टी निकालने के बहाने यह बालू माफिया बालू निकाल रहे है बालू का कोई लीज नहीं हुआ प्रति टिपर का रेट लगभग 25 सौ रुपया है आज से 3 दिन पहले हॉस्पिटल के आगे भी चोपन गांव के बालू माफिया द्वारा बालू गिराया गया है और आज भी सुबह लगभग 10:00 बजे गौरव नगर में टीपर द्वारा बालू गिराया गया और यह टिपर चोपन गांव की थी टिपर के आगे एक नौजवान मोटरसाइकिल लेकर आगे आगे चल रहा था जिसका रंग सावला और हल्का हल्का बाल जमा हुआ था जिसका नाम अज्ञात है मजे की बात यह है कि इस समय क्षेत्र के सभी बालू साइड बंद इसके बावजूद यह अवैध बालू माफिया नया नया रास्ता निकाल कर बालू बेचने में सक्रिय है और स्थानीय प्रशासन की आंखों में भी धूल झुक रहे हैं जिसका जीता जागता स्वरूप है कि टिपर में नीचे बालू और ऊपर हल्का सा मिट्टी का लेयर डालकर बड़े आराम से दिन में भी ले जाकर बालू बेच रहे हैं जिससे प्रतिदिन राजस्व के लाखों रुपए का नुकसान होता है चोपन गांव के इन बालू माफियाओं पर जब तक स्थानीय प्रशासन द्वारा सख्त कार्रवाई नहीं की

जाएगी तब तक यह लोग नहीं मानने वाले हैं क्योंकि यह लोग विगत कई वर्षों से अवैध बालू के धंधे में लिप्त है जिसे राजस्व हित में रोकना अत्यंत आवश्यक है अब देखना यह है कि स्थानीय प्रशासन कब तक इन बालू माफियाओं पर अंकुश लगा लेता है

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