लाक डाउन के दौरान आभासी माध्यमो को ईसीए ने साधा- स्वाती पोपट
लाक डाउन के दौरान आभासी माध्यमो को ईसीए ने साधा- स्वाती पोपट
बाल शिक्षा के क्षेत्र में शोध और अनुसंधान करती है अर्ली चाइल्डहुड एसोसिएशन – स्वाति पोपट
बाल शिक्षा में इसीए ने की अनसंधानिक गुरूमंत्र की सस्तुति- स्वाती पोपट
-डब्लूएचओ तथा अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिशियन के शोधित मानक भी है शामिल
– लाक डाउन में स्मार्ट फोन, इंटरनेट को बनाया सिद्धहस्त हथियार
ओबरा(जय दीप गुप्ता ब्यूरो)सोनभद्र:आज के बच्चे ही कल देश के भविष्य बनेंगे। इसके लिए ज़रूरी है कि बच्चों के नींव सुव्यवस्थित और मजबूत हो। यह संभव है जब हम सनातन से सीख लेते हुए आधुनिकता को रचनात्मक भाव से लें, तभी हम पूर्वजों की कहावत को चरितार्थ कर उनकी परिकल्पना साकार कर सकते हैं। बाल शिक्षा के क्षेत्र में शोध और अनुसंधान के लिए चर्चित अर्ली चाइल्डहुड एसोसिएशन ने इस क्षेत्र में सकारात्मक और सार्थक पहल की है उक्त बाते अध्यक्ष स्वाति पोपट ने कही। कहा कि माता-पिता की अपेक्षा छोटे बच्चे शिक्षिकाओं की बात को आदर्श और अकाट्य मानते हैं। आदेश, निर्देश पढ़ाई में तनिक भी संशोधन बर्दाश्त नहीं करते। हमने बच्चों के हित में उनकी क्षमता के उपयोग तथा उनके उज्जवल भविष्य हेतु उनकी दिनचर्या को व्यवस्थित करने, स्वास्थ्य को प्रमुखता देते हुए बच्चों की भावनात्मक और शारीरिक गतिविधियों, अनुशासन, पारिवारिक व सामाजिक सामंजस्य, संस्कार व संस्कृति को समृद्ध करने हेतु बाल केंद्रों के साथ आभासी माध्यमों (स्मार्टफोन इंटरनेट से वेब शिक्षा) का सार्थक उपयोग की पहल की है। स्वास्थ्यवर्धक भोजन, अच्छी नींद, टीवी मोबाइल पर नियंत्रण व उसके हानिकारक पक्ष से अवगत कराने, सामाजिक व पारिवारिक भावनाओं को विकसित करने, संस्कार संस्कृति, अनुशासन, कर्तव्य दायित्व भावना इत्यादि पर अपने विशेषज्ञों के शोध के साथ क्रियान्वयन संभव किया है। श्रीमती पोपट ने कहा अर्ली चाइल्डहुड एसोसिएशन ने दृढ़ता के साथ हमारी परिशोधित और समन्वित पद्धति की अनुशंसा की है। अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिशियन सहित डब्ल्यूएचओ के कुछ उपयोगी शोध संबंधित सुझाव हमारे इस अभिनव पहल में पहले से अनुशंसित हैं। बताया कि लाक डाउन के दुष्प्रभाव को ध्यान में रखते हुए बच्चों के भविष्य हेतु शिक्षक बच्चों को सामाजिक, भावनात्मक और शारीरिक गतिविधियों से जोड़ने में मददगार होंगे। कहा कि शिक्षकों, शिक्षार्थियों और अभिभावकों के लिए हमने विस्तृत गाइडलाइन जारी कर दिया है जिसके अच्छे परिणाम मिल रहे हैं। अपनी शोध शैली पर प्रकाश डालते हुए श्रीमती पोपट ने बताया प्राचीन काल से ही आदर्श विद्यार्थियों के लिए लक्षित आचार संहिता “काक चेष्टा, बको ध्यानं, श्वान निद्रा तथैव च, अल्पाहारी गृह त्यागी“ के अकाट्य पंच लक्षणों का विद्यार्थियों में विकास हो तथा अनुपालन। कहा कि इसके बहुद्देशीय स्वरूप को समझते हुए स्वर्गीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने, एक ही जादू, दूर दृष्टि, कड़ी मेहनत, पक्का इरादा और अनुशासन, का नारा दिया था। साथ ही महात्मा गांधी का यह सिद्धांत “सद्गुण की सीख संप्रेषित करते समय व्यक्ति खुद उस आचरण का निर्वहन कर रहा हो“ तभी उसका कथन प्रभावी हो सकता है। यह सूत्र सर्वकालिक प्रासंगिक बना। अर्ली चाइल्डहुड एसोसिएशन के उपाध्यक्ष एंव हेलो किड्स के सस्थापक प्रीतम अग्रवाल ने कहा लॉक डाउन ने बच्चों के हितैषी आदर्श शिक्षाविदों को विचलित कर दिया। जरूरत आन पड़ी थी अनुसंधानिक और सर्वोत्तम प्रक्रिया आधारित उस पद्धति की जिससे आधुनिक संसाधनों और उन्नत तकनीकी पक्ष को साध कर बच्चों के लिए वरदान बनाया जा सके। आवश्यकता ही आविष्कार की जननी सिद्ध होती आई है इस सूत्र पर मंथन करते हुए हमने बहुत उपयोगी और अभिनव दिशा निर्देश जारी किया है। अर्ली चाइल्डहुड एसोसिएशन के शैक्षिक अनुसंधान आधारित दिशा निर्देशों पर कार्य कर रहे हैं। कहा हमारा विशेषज्ञ दल बच्चों के मनोविज्ञान, उनकी उपयोगिता और क्षमता पर शोध कर बहुद्देशीय परिष्कृत शिक्षा पद्धति लागू कर बाल शिक्षा बाल शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति का संचार करता रहेगा।