रेल कर्मचारी इंटर कालेज मे प्रबंध समिति चुनाव मामले मे आया नया मोड़।
विद्यालय के समिति मे कुट रचित तरीके से रेल अधिकारियों व कर्मचारियों को बाहर करने का आरोप

जन सूचना अधिकार से हुआ खुलासा रेल विभाग के अधिकारियों ने डी आई ओ एस से मिलकर आपत्ति जताई, किया कार्यवाही की मांग।
अशोक मद्धेशिया
संवाददाता
चोपन/सोनभद्र । आदर्श नगर पंचायत क्षेत्र स्थित रेल कर्मचारी इंटर कालेज के प्रबंध समिति के चुनाव को लेकर मामला गर्म होता जा रहा है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक रेल कर्मचारी इंटर कालेज मे प्रबंध समिति के चुनाव की तिथि माह मार्च तक नियत थी, समय से प्रबंध समिति का चुनाव न होने के कारण समिति कालातीत हो गयी। प्रबंधक द्वारा जिला विद्यालय निरीक्षक से पुनः चुनाव कराने की मांग के दृष्टिगट डी आई ओ एस द्वारा साधारण सभा के पंजीकृत सूची की मांग की गयी तो समय से सूची उपलब्ध नही कराई गयी। इसी बीच चोपन निवासी अधिवक्ता दिनेश पाण्डेय ने आर टी आई से उक्त समिति के बायलाज व सदस्यों के सूची की मांग चिट फंड सोसायटी से की गयी। सूची व बायलाज मिलते ही प्रबंध समिति मे हड़कंप मच गया। दिनेश पाण्डेय ने बताया कि उक्त समिति 1965.66 मे रेल कर्मचारी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के नाम से रेल विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा पंजीकृत कराई गयी है, जिसमे साफ साफ लिखा है कि उक्त समिति मे केवल रेल विभाग के अधिकारी व कर्मचारी ही पदाधिकारी व सदस्य हो सकते है। परन्तु 1987 – 88 मे कुट रचित तरीके से कागजो मे हेरा फेरी कर रेल विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों को समिति से हटाकर बाहरी व्यक्तियों का प्रवेश हो गया।जिसके प्रबंधक व्यासमुनी पाण्डेय उक्त समय से बने हुए है, जब कि उक्त समिति के 12 पदाधिकारी व सदस्यों मे एक भी रेल विभाग मे एम्प्लाइज नही है। जैसे ही यह खबर रेल विभाग के उच्चाधिकारियों को मिली हड़कंप मच गया। रेल विभाग के अधिकारी तत्काल अपने बायलाज को लेकर जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय पहुँच कर नियमानुसार व्यवस्था बहाल करने व कुट रचना मे शामिल प्रबंध समिति के पदाधिकारियों व सदस्यों के विरुद्ध कार्यवाही की मांग किए है। उक्त विद्यालय हाई स्कूल तक वित्त पोषित व इंटर मीडियट वित्त विहीन संचालिय होता है। सूत्रों की माने तो उक्त विद्यालय का एकल खाता खुलवाकर प्रबंधक द्वारा मनमाने ढंग से धन का नियम विरुद्ध लेन देन किया गया है। देखना यह होगा कि उक्त विद्यालय का संचालन रेल विभाग द्वारा किया जाता है या मामला अधर मे लटका रहता है।