गर्दन में फंसे कांटे की जटिल सर्जरी कर हिण्डाल्को के डॉ. शोभित के बचाई मरीज की जान
एम एस हशन,, रेणुकूट।सोनभद्र डॉक्टर को धरती पर भगवान का दर्जा दिया जाता है और कभी- कभी कुछ ऐसे वाकये सामने आते है जब इसकी बानगी देखने को मिलती है। मंगलवार को ऐसा एक अनोखा मामला रेणुकूट स्थित हिण्डाल्को अस्पताल में सामने आया जिसे सुन कर हर किसी ने दांतों तले अंगुली दबा ली। गौरतलब है कि ओबरा की रहने वाली 55 वर्षीय महिला मरीज श्रीमती फरीदा खान थक- हार कर उस वक्त हिण्डाल्को अस्पताल पहुंची जब वह गर्दन की सूजन एवं गंभीर दर्द से जूझ रही थीं। कई डॉक्टरों से सलाह लेने व उनके द्वारा उचित इलाज न होने के कारण वह हिण्डाल्को अस्पताल के ईएनटी विभाग के मशहूर डॉक्टर डॉ. शोभित श्रीवास्तव से परामर्श लेने आईं थीं।
पूछताछ में मालूम हुआ कि महिला ने करीब एक माह पहले मछली खाते समय गलती से उसका कांटा निगल लिया था। प्रारंभिक जांच में तो मछली का कांटा फंसे होने व उसकी स्थिति की जानकारी नहीं लग पाई। जिसके बाद डॉ शोभित द्वारा तुरंत गर्दन के एक्स-रे की सलाह दी गई। परिणाम स्वरूप किसी बाहरी वस्तु की हल्की छाया देखी गई।
हिण्डाल्को हॉस्पिटल के सीएमओ डॉ. भास्कर दत्ता के निर्देशन में कांटे की स्थिति की पुष्टि करने के लिए गर्दन का एक सीटी स्कैन किया गया जिससे पता चला कि मछली का कांटा गले की हड्डी से पार हो गया है और मस्तिष्क को रक्त की आपूर्ति करने वाली मुख्य रक्त वाहिका से मात्र 3.4 मिली मीटर दूर फंस गया है। डॉ. शोभित ने मरीज को सूचित किया कि इस कांटे की स्थिति बहुत जोखिम भरी थी और हटाने के दौरान यह संवेदनशील रक्त वाहिका को नुकसान पहुंचा सकता था जो कि जीवन के लिए भी खतरा था। खतरे को भांपते हुए डॉ. शोभित द्वारा मरीज को इसका त्वरित इलाज किए जाने की सलाह दी गई जिसके लिए मरीज ने तुरंत हामी भरी।
सर्जरी के लिए मरीज को एनेस्थीसिया दिया गया तथा मस्तिष्क वाहिकाओं का विशेष ध्यान रखते हुए गर्दन की जांच कर कांटे के सिरे की पहचान की गई। सतर्कता बरतते हुए के कांटे को म्यूकोसा से अलग किया गया और सावधानी से निकाल दिया गया। गर्दन का दोबारा निरीक्षण कर उसे सिल दिया गया। इस प्रकार एक बार फिर से डॉ. शोभित श्रीवास्तव और टीम द्वारा एक अनमोल जीवन बचाया गया।
ऑपरेशन के उपरांत महिला व इनके पति जियाउद्दीन ने बतचीत में बताया कि उन्होंने डॉक्टर शोभित के बारे में अखबारों में पढ़ा ता कि कैसे उन्होंने एक बच्चे के गले से बिना ऑपरेशन के सिक्का निकाला था। उन्हें विश्वास था कि इस जटिल परेशानी से डॉ. शोभित ही उन्हें निजात दिला सकते हैं। उन्होंने एनेस्थीसिया के डॉक्टर मुरली व टीम का भी आभार व्यक्त किया। वहीं डॉ. शोभित ने बताया कि अक्सर लोग मछली खाते वक्त ध्यान नहीं देते और कांटा निगल लेते हैं। ऐसे में ज़रूरी है मछली खाते वक्त अत्याधिक सावधानी बरती जाए नहीं तो परिणाम बेहद जोखिम भरा हो सकता है।डॉक्टर पायल डामोर ने सिटी स्कैन कर एक्चुअल पोजीशन पता करने में अहम भूमिका निभाई।