उत्तर प्रदेश

यूरिया खाद के कमी काला बाजारी को लेकर किसानों ने सहकारी समिति पर सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर जताया विरोध

यूरिया खाद के कमी काला बाजारी को लेकर किसानों ने सहकारी समिति पर सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर जताया विरोध  

 करमा (मुस्तकीम खान ) क्षेत्र के ककराही समिति पर यूरिया खाद के लिए घंटों लाइन लगा रहे किसान, 270 रुपये वाली यूरिया 370 रुपये में बिक रही महंगी यूरिया के लिए इन दिनों सोनभद्र में किसान हंगामा कर रहे हैं। सहकारी समितियों से यूरिया न मिलने से परेशान किसानों को अपनी फसल बचाने के लिए निजी दुकानों से महंगे दामों में यूरिया खरीदनी पड़ रही है। इन दिनों उत्तर प्रदेश में किसान यूरिया के लिए सहकारी समितियों के बाहर घंटों लाइन लगा रहे हैं। कई दिन चक्कर लगाने के बाद किसानों को अपनी फसलों के लिए यूरिया नहीं मिल रही है। ऐसे में परेशान किसान कहीं हंगामा कर रहे हैं तो कहीं मारामारी की नौबत आ गई है। उत्तर प्रदेश में इन दिनों किसान यूरिया की किल्लत से बुरी तरह जूझ रहे हैं। ऐसे में अपनी फसल को बचाने के लिए किसान निजी दुकानों से 50 से 100 रुपये तक महंगी खाद खरीदने को मजबूर हो रहे हैं। कई किसानों का आरोप है कि सहकारी समितियों से कालाबाजारी होने की वजह से निजी दुकानों पर यूरिया खाद महंगे दामों में बेची जा रही है और बाजारों में खाद विक्रेता इसका जमकर फायदा उठा रहे हैं। उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले की साधन सहकारी समितियों के बाहर इन दिनों किसानों की लम्बी लाइन लग रही है, मगर यूरिया न मिलने से परेशान किसान अंत में निजी दुकानदारों की ओर रुख कर रहे हैं। दुकानों में इन किसानों को जिंक का पैकेट भी खरीदने पर ही यूरिया की बोरी मिल रही है। यूरिया लेने के लिए किसानों की लगी लम्बी लाइन। मुकेश कुमार तरंग किसान बताते हैं, “जो यूरिया 270 रुपये प्रति बोरी है, निजी दुकानदारो द्वारा 350 रुपये का हम लोगों को मिल रहा है, जबकि उससे गाँव के किसान कल्लू बताते हैं, “खाद नहीं मिल रही, जिंक भी साथ में दे रहे, दुकानदार से कुछ बोलो तो कहते हैं कि यूरिया में कीमत भले ही नहीं बढ़ाएंगे, मगर जिंक साथ देंगे, तो जो पैसे लेकर आये यूरिया के लिए, तो जिंक क्यों खरीदें, लेकिन दे नहीं रहे, जिंक के साथ लो तो यूरिया दे रहे हैं।” इस समय किसानों को धान, मक्का,टमाटर,मिर्चा, बैगन, और अन्य फसलों के लिए यूरिया खाद की जरूरत पड़ती है। धान में बाली निकलने के पहले और बरसात होने के बाद यूरिया का उपयोग किसान करते हैं। मगर साधन सहकारी समितियों में यूरिया स्टॉक न होने की वजह से या तो मिल ही नहीं रही है या कुछ ही किसानों को ही मुश्किल से मिल पा रही है, जबकि निजी खाद विक्रेता महंगे दामों में यूरिया बेच रहे हैं।मुकेश कुमार तरंग से बात करने से पता चला कि निजी दुकान दार कहते हे “हमारे यहाँ यूरिया नहीं है क्योंकि किसानों को पता है कि हमारा यूरिया क्या भाव है, थोक विक्रेता को पता है हमें किस भाव मिल रहा है, मगर हम हैं छोटे दुकानदार, हमें यह भी नहीं पता कि हम किस भाव में बेचें, महंगी मिलती है तो बेच नहीं पा रहे, हमें सही दाम मिले तो हम किसानों को बेच पायेंगे।” किसान यूरिया खाद न मिलने से निजी खाद विक्रेताओं से खाद खरीदने को मजबूर किसान सोनभद्र में सभी सहकारी समिति केन्द्रों के सहायक आयुक्त एवं निबंधक सहकारिता टीएन सिंह जी बताते हैं, “पिछले वर्ष 4500 मीट्रिक टन में सभी किसानों को खाद मुहैया कराई गई थी। इस साल अब तक 9200 मीट्रिक टन खाद जिले में वितरण किया जा चुका है, तो अभी भी किसानों को यूरिया की मांग है।” सोनभद्र जिले के क्षेत्र की सहकारी समिति केंद्र के बाहर लगी किसानों की लम्बी लाइन टीएन सिंह कहते हैं, “सोनभद्र के 71 क्रय केंद्र पर दो दिन के भीतर 1100 मीट्रिक टन खाद और उपलब्ध हो जाएगी जिसमें सभी किसानों को भरपूर उर्वरक मिल जाएगा। ऐसे में किसानों को किसी भी तरह की जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए।” देश में यूरिया की खपत की बात करें तो दुनिया की सबसे बड़ी उर्वरक सहकारी समिति इफको ने वित्तीय वर्ष 2019-20 उर्वरकों का सबसे ज्यादा उत्पादन कर नया रिकॉर्ड बनाया है। इफको ने 133 लाख टन उर्वरकों की बिक्री कर सबसे बड़ा रिकॉर्ड बनाया। इसमें यूरिया का उत्पादन भी इस साल ज्यादा रहा। पिछले साल जहाँ 45.62 लाख टन यूरिया का उत्पादन किया था, वहीँ इस वित्तीय वर्ष में 48.75 लाख टन यूरिया उत्पादन हुआ। देश में बढ़ते उत्पादन के बावजूद किसानों में यूरिया की मांग बढ़ने के सवाल पर द इंटरनेशनल प्लांट न्यूट्रीशन इंस्टीट्यूट (IPNI) – इंडिया प्रोग्राम के पूर्व निदेशक डॉ. केएन तिवारी ‘ से बताते हैं, “वास्तव में यूरिया फसलों में सीमित मात्रा में उपयोग की जानी चाहिए, ज्यादा उपयोग से उत्पादकता भी प्रभावित होती है, सरकार ने पहले खेतों में यूरिया की सीमित खपत के बारे में फैसला लिया भी था, मगर बाद में वापस ले लिया। ऐसे में जो समर्थ किसान हैं वो अपने पास यूरिया का स्टॉक कर लेते हैं।” डॉ. तिवारी कहते हैं, “ज्यादा उत्पादन के लिए किसान अपनी फसलों में ज्यादा यूरिया डालता है, ऐसे में यूरिया की खपत भी बढ़ती जाती है और उसका खर्च भी बढ़ता है, इसलिए उत्पादन ज्यादा होने पर भी आम किसानों को समय पर यूरिया नहीं मिल पा रही है और मांग के अनुसार कमी सामने आ रही है।” सोनभद्र जैसा किसानों के सामने हैं। किसान बताते हैं, “हम पिछले दस दिनों से समितियों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन हम लोगों को यूरिया खाद नहीं मिल पा रही है। जब जाओ तो समिति पर ताला लटकता हुआ नज़र आता है। सचिव को फ़ोन करो तो बताते हैं कि अभी खाद की रैक नहीं आई है। वही प्राइवेट दुकानों पर 450 रुपये में यूरिया खाद ब्लैक में खुलेआम बिक्री की जा रही है।” ऐसे में इन दिनों किसानों के बीच यूरिया के लिए मारामारी है। सहकारी समितियों से न मिलने पर उन्हें महंगे दामों में यूरिया खरीदनी पड़ रही है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि लॉकडाउन, बारिश और फसलों पर कीटों के हमले के बाद भी किसानों की मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रहीं हैंयूरिया खाद के कमी काला बाजारी को लेकर किसानों ने सहकारी समिति पे सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर जताया विरोध जयप्रकाश वर्मा करमा ककराही सोनभद्र यूरिया खाद के लिए घंटों लाइन लगा रहे किसान, 270 रुपये वाली यूरिया 370 रुपये में बिक रही महंगी यूरिया के लिए इन दिनों सोनभद्र में किसान हंगामा कर रहे हैं। सहकारी समितियों से यूरिया न मिलने से परेशान किसानों को अपनी फसल बचाने के लिए निजी दुकानों से महंगे दामों में यूरिया खरीदनी पड़ रही है। इन दिनों उत्तर प्रदेश में किसान यूरिया के लिए सहकारी समितियों के बाहर घंटों लाइन लगा रहे हैं। कई दिन चक्कर लगाने के बाद किसानों को अपनी फसलों के लिए यूरिया नहीं मिल रही है। ऐसे में परेशान किसान कहीं हंगामा कर रहे हैं तो कहीं मारामारी की नौबत आ गई है। उत्तर प्रदेश में इन दिनों किसान यूरिया की किल्लत से बुरी तरह जूझ रहे हैं। ऐसे में अपनी फसल को बचाने के लिए किसान निजी दुकानों से 50 से 100 रुपये तक महंगी खाद खरीदने को मजबूर हो रहे हैं। कई किसानों का आरोप है कि सहकारी समितियों से कालाबाजारी होने की वजह से निजी दुकानों पर यूरिया खाद महंगे दामों में बेची जा रही है और बाजारों में खाद विक्रेता इसका जमकर फायदा उठा रहे हैं। उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले की साधन सहकारी समितियों के बाहर इन दिनों किसानों की लम्बी लाइन लग रही है, मगर यूरिया न मिलने से परेशान किसान अंत में निजी दुकानदारों की ओर रुख कर रहे हैं। दुकानों में इन किसानों को जिंक का पैकेट भी खरीदने पर ही यूरिया की बोरी मिल रही है। यूरिया लेने के लिए किसानों की लगी लम्बी लाइन। मुकेश कुमार तरंग किसान बताते हैं, “जो यूरिया 270 रुपये प्रति बोरी है, निजी दुकानदारो द्वारा 350 रुपये का हम लोगों को मिल रहा है, जबकि उससे गाँव के किसान कल्लू बताते हैं, “खाद नहीं मिल रही, जिंक भी साथ में दे रहे, दुकानदार से कुछ बोलो तो कहते हैं कि यूरिया में कीमत भले ही नहीं बढ़ाएंगे, मगर जिंक साथ देंगे, तो जो पैसे लेकर आये यूरिया के लिए, तो जिंक क्यों खरीदें, लेकिन दे नहीं रहे, जिंक के साथ लो तो यूरिया दे रहे हैं।” इस समय किसानों को धान, मक्का,टमाटर,मिर्चा, बैगन, और अन्य फसलों के लिए यूरिया खाद की जरूरत पड़ती है। धान में बाली निकलने के पहले और बरसात होने के बाद यूरिया का उपयोग किसान करते हैं। मगर साधन सहकारी समितियों में यूरिया स्टॉक न होने की वजह से या तो मिल ही नहीं रही है या कुछ ही किसानों को ही मुश्किल से मिल पा रही है, जबकि निजी खाद विक्रेता महंगे दामों में यूरिया बेच रहे हैं।मुकेश कुमार तरंग से बात करने से पता चला कि निजी दुकान दार कहते हे “हमारे यहाँ यूरिया नहीं है क्योंकि किसानों को पता है कि हमारा यूरिया क्या भाव है, थोक विक्रेता को पता है हमें किस भाव मिल रहा है, मगर हम हैं छोटे दुकानदार, हमें यह भी नहीं पता कि हम किस भाव में बेचें, महंगी मिलती है तो बेच नहीं पा रहे, हमें सही दाम मिले तो हम किसानों को बेच पायेंगे।” किसान यूरिया खाद न मिलने से निजी खाद विक्रेताओं से खाद खरीदने को मजबूर किसान सोनभद्र में सभी सहकारी समिति केन्द्रों के सहायक आयुक्त एवं निबंधक सहकारिता टीएन सिंह जी बताते हैं, “पिछले वर्ष 4500 मीट्रिक टन में सभी किसानों को खाद मुहैया कराई गई थी। इस साल अब तक 9200 मीट्रिक टन खाद जिले में वितरण किया जा चुका है, तो अभी भी किसानों को यूरिया की मांग है।” सोनभद्र जिले के क्षेत्र की सहकारी समिति केंद्र के बाहर लगी किसानों की लम्बी लाइन टीएन सिंह कहते हैं, “सोनभद्र के 71 क्रय केंद्र पर दो दिन के भीतर 1100 मीट्रिक टन खाद और उपलब्ध हो जाएगी जिसमें सभी किसानों को भरपूर उर्वरक मिल जाएगा। ऐसे में किसानों को किसी भी तरह की जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए।” देश में यूरिया की खपत की बात करें तो दुनिया की सबसे बड़ी उर्वरक सहकारी समिति इफको ने वित्तीय वर्ष 2019-20 उर्वरकों का सबसे ज्यादा उत्पादन कर नया रिकॉर्ड बनाया है। इफको ने 133 लाख टन उर्वरकों की बिक्री कर सबसे बड़ा रिकॉर्ड बनाया। इसमें यूरिया का उत्पादन भी इस साल ज्यादा रहा। पिछले साल जहाँ 45.62 लाख टन यूरिया का उत्पादन किया था, वहीँ इस वित्तीय वर्ष में 48.75 लाख टन यूरिया उत्पादन हुआ। देश में बढ़ते उत्पादन के बावजूद किसानों में यूरिया की मांग बढ़ने के सवाल पर द इंटरनेशनल प्लांट न्यूट्रीशन इंस्टीट्यूट (IPNI) – इंडिया प्रोग्राम के पूर्व निदेशक डॉ. केएन तिवारी ‘ से बताते हैं, “वास्तव में यूरिया फसलों में सीमित मात्रा में उपयोग की जानी चाहिए, ज्यादा उपयोग से उत्पादकता भी प्रभावित होती है, सरकार ने पहले खेतों में यूरिया की सीमित खपत के बारे में फैसला लिया भी था, मगर बाद में वापस ले लिया। ऐसे में जो समर्थ किसान हैं वो अपने पास यूरिया का स्टॉक कर लेते हैं।” डॉ. तिवारी कहते हैं, “ज्यादा उत्पादन के लिए किसान अपनी फसलों में ज्यादा यूरिया डालता है, ऐसे में यूरिया की खपत भी बढ़ती जाती है और उसका खर्च भी बढ़ता है, इसलिए उत्पादन ज्यादा होने पर भी आम किसानों को समय पर यूरिया नहीं मिल पा रही है और मांग के अनुसार कमी सामने आ रही है।” सोनभद्र जैसा किसानों के सामने हैं। किसान बताते हैं, “हम पिछले दस दिनों से समितियों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन हम लोगों को यूरिया खाद नहीं मिल पा रही है। जब जाओ तो समिति पर ताला लटकता हुआ नज़र आता है। सचिव को फ़ोन करो तो बताते हैं कि अभी खाद की रैक नहीं आई है। वही प्राइवेट दुकानों पर 450 रुपये में यूरिया खाद ब्लैक में खुलेआम बिक्री की जा रही है।” ऐसे में इन दिनों किसानों के बीच यूरिया के लिए मारामारी है। सहकारी समितियों से न मिलने पर उन्हें महंगे दामों में यूरिया खरीदनी पड़ रही है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं कि लॉकडाउन, बारिश और फसलों पर कीटों के हमले के बाद भी किसानो की मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रहीं हैं।

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