उत्तर प्रदेशसोनभद्र

डाला,बिल्ली,मारकुंडी,सहित,22 पत्थर खदानों में एनजीटी के आदेश पर खनन कार्य पर रोक,हड़कम्प

 

परमिट सहित मकान बनाने में प्रयोग होने वाले गिट्टी की कीमतों में भारी उछाल आने की संभावना

पर्याप्त बोल्डर नही मिलने पर क्रेशर स्वामी सहित मजदूरों को बेरोजगारी का सता रहा डर

ओबरा(सोनभद्र)– डाला बिल्ली मारकुंडी खनन क्षेत्र में एनजीटी के आदेश पर 22 पत्थर खदानों में खनन कार्य बंद होने पर खनन क्षेत्र में व्यापारियों में चिंताए बढ़ गई है। आठ नवम्बर से इन खदानों में खनन कार्य बंद होने के बाद खनन क्षेत्र में एमएम-11 परमिट के दामों में वृद्धि की आशंका से गिट्टी के दामों में भी तेजी होने पर आम लोगों पर इसका सबसे ज्यादा बुरा असर पड़ने के साथ साथ बेरोजगारी भी बढ़ने की पूरी संभावना है।परमिट के दामों में भारी उछाल होने पर लोगों के घर बनाने के सपने पर ग्रहण लग जाएगा।प्रदेश में दूसरा सबसे ज्यादा राजस्व देने वाला डाला बिल्ली खनन क्षेत्र पर पहले भी कई बार संकट के बादल गहराने से मुश्किलों के दौर से गुजरा है। जिसकी वजह से गिट्टी के दामों में भारी उछाल देखा गया है। ऐसे में एनजीटी के आदेश के बाद बंद हुई खदानों में काम ठप होने के बाद चालू खदानों से जारी होने वाला परमिट आने वाले दिनों में महंगे दामों पर बेचने का खेल शुरू हो सकता है। देखा जाए तो डाला बिल्ली खनन क्षेत्र के भूमिधरी खदानों में पहले भी महंगे दामों पर परमिट बेचे जाने से कई बार गिट्टी के दामों में तेजी से उछाल होता रहा है। जिसका सबसे ज्यादा फायदा लीजधारकों को हुआ है। सरकार से सस्ते दामों पर मिलने वाले परमिट को लीजधारक मनमाने दामों में बेचते चले आ रहे हैं। लेकिन बढ़ते दामों पर लगाम लगाने के लिए प्रशासन के सारी कवायदें धरी की धरी रह जाती हैं।जबकि जिला प्रशासन और खनन विभाग पिछले दिनों फर्जी परमिट में संलिप्तता पाए जाने पर कई लोगों पर कार्रवाई भी कर चुका है।संकट के इस दौर में शुक्रवार को क्रेशर ऑनर्स एसोसिएशन द्वारा एक बैठक कर अध्यक्ष अजय सिंह ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय में 12 नवम्बर को मामले की सुनवाई होनी है,उम्मीद जताई कि खनन व्यवसायियों के हक में फैसला आएगा।बैठक में निर्णय लिया गया कि बाजार में संतुलन बनाए रखने के लिए सभी सदस्य पुरा सहयोग करेंगे।साथ ही शासन के नियमो के अंतर्गत ही परिवहन का कार्य संचालित करने का निर्णय लिया गया।डाला बिल्ली में संचालित खदानों को पहले जिलास्तरीय समिति से ही स्वीकृति मिलती थी लेकिन एनजीटी के आदेश में अभी खनन पट्टों को राज्य स्तर पर सिया से पर्यावरणीय स्वीकृति लेना अनिवार्य किया गया है।

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