*अघोषित बिजली कटौती से उपभोक्ता परेशान, उपभोक्ताओं में रोष व्याप्त*

*कटौती की वजह से लोगों की पूरी दिनचर्या खराब होकर रह रह जाता है बिजली विभाग के प्रति उपभोक्ताओं में खासा गुस्सा व्याप्त है*
*विद्युत विभाग कोई भी सिस्टम पारदर्शी नहीं है।*
अशोक मद्धेशिया
संवाददाता
चोपन/सोनभद्र–उमस भरी गर्मी और ऊपर से लगातार हो रही बिजली की कटौती से उपभोक्ताओं का जीना मुहाल हो गया है। बात एक दो दिन की हो तो अलग बात है, 20 दिनों में अभी तक स्थानीय लोग समझ ही नहीं पाए कि बिजली की इतनी कटौती आखिर होती क्यों है।
बिजली कटौती का शेड्यूल तो अलग से ऊपर से बीच बीच में कटौती कर लोगों को परेशान करने का ठेका जैसे बिजली विभाग ने ले लिया हो। बिजली कितने समय में आएगी इसकी गारन्टी खुद बिजली विभाग के कर्मचारी भी नहीं लेते। बरसात के मौसम में स्थानीय लोगों को लगा कि गर्मी से कुछ राहत मिल जाएगा। लेकिन चोपन नगर और आस-पास के क्षेत्रों में बरसात न होने का मतलब जैसे इंद्र देवता रुठ गए हो।
ऊपर से दिन हो या रात के समय अघोषित बिजली कटौती का ही भय लोगों को सताता रहता है कि बिजली ना जाने कब गुल हो जाए। बिजली कटौती के कारण लोगों की पूरी दिनचर्या खराब होकर रह जाती है। उमस भरी गर्मी से छोटे बच्चे, महिला और बुजुर्गों को भारी कठनाईयों का सामना करना पड़ता है। खासकर ग्रामीण क्षेत्र में बिजली की अघोषित कटौती से ग्रामीणों में सरकार के प्रति रोष व्याप्त है। बिजली विभाग द्वारा ग्रामीण क्षेत्र के लिए बनाए गए शेड्यूल के अनुसार भी बिजली उपलब्ध नहीं हो पा रही है। जिसके कारण आजकल पड़ रही चिपचिपाती गर्मी और अघोषित बिजली कटौती ने लोगों की रात की नींद और दिन का चैन छीन लिया हैं। दूसरी तरफ छोटे उद्योग व बिजली पर निर्भर दुकानदारों में बिजली विभाग के प्रति खासा गुस्सा व्याप्त है। सरकार ने जो दावा किया था उसकी पोल बिजली की कटौती से खुल जा रही है। ऐसा भी नहीं है कि सरकार तक यह बात नहीं पहुँचती। बाकायदा मोनिटरिंग होती रहती है। डाला सब स्टेशन और चोपन से कितने समय किस एरिया की बिजली काटी गई कब दी गई पूरा विवरण वाराणसी से लेकर लखनऊ तक होती है। सोनभद्र को पिछड़ा एरिया समझ कर विद्युत विभाग के अधिकारी शासन को बदनाम करने में लगे हैं।
यहाँ के उपभोक्ता व रहवासियों पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं देते। अगर इसी तरह बिजली विभाग लोगों को परेशान करता रहेगा तो कभी भी लोगों का गुस्सा उग्र हो सकता सकता है। तय शेड्यूल में ना तो कभी ज़र्ज़र तारों की रिपेरिंग होती है और ना ही बकायादारों के कनेक्शन काटे जाते है। जब लाइट रहती एसी में बैठकर उच्च अधिकारियों को ध्यान आता है कि इसका बकाया है इसकी लाइट काटनी है। कोई भी सिस्टम बिजली विभाग का पारदर्शी नहीं है। जिसका अंजाम आम जनता भुगतति है। जबकि सोनभद्र में बिजली का व्यापक पैमाने में पैदावार होती है। बिजली पावर हाउस से निकले वाले प्रदूषण को जिले की जनता झेले और बिजली का आराम दूसरे जिलों को मिले ये कहा कि न्याय है। सोनभद्र का वास्तविक अधिकार मिलना चाहिए और जनता की समस्या का ख्याल रखना चाहिए।