दुरुह पहाड़ी इलाकों मे झोलाछाप डॉक्टरों के भरोसे इंसान,भरोसे ने ली मासूम की जान

अनिल जायसवाल
डाला सोनभद्र – गांव तक सड़क नहीं होने के कारण वाहन ,एंबुलेंस की सुविधा नहीं मिल पाती है जिसकी वजह से बीमार होने पर झोलाछाप डॉक्टर का ही सहयोग लेना पड़ जाता है अति गंभीर परिस्थिति में बेहतर इलाज नहीं मिल पाने के कारण जान देकर चुकानी पड़ती है कीमत। बताते चलें कि विकासखंड चोपन के ग्रामसभा पनारी के अंतर्गत स्थित मंगरहवा टोला जाने के लिए पहाड़ी क्षेत्र के घने जंगलों से पगडंडी का मार्ग होते बहते हुए नालो से गुजर कर मंगरहवा पहुंचा जा सकता है। मार्ग निर्माण के अभाव में मंगरहवा पहुंचने के लिए एंबुलेंस इत्यादि का प्रयोग नहीं हो सकता है। यह अति पिछड़ा क्षेत्र सूबे के समाज कल्याण,अनुसूचित एवं जनजाति कल्याण राज्यमंत्री संजीव सिंह गोड़ का विधायकी क्षेत्र विधानसभा ओबरा के अंतर्गत आता है। जहां पर 10 जनवरी को घटी घटना वाकही सभी को झकझोर कर देने वाली है मंगरहवा गांव के निवासी हीरालाल पुत्र दशरथ खरवार उम्र 35 वर्ष और उनकी पत्नी सुवासी देवी ने बताया कि मेरा पुत्र पंकज जिसकी उम्र लगभग 1 वर्ष थी जिसको दिनांक 10 जनवरी को काफी बुखार हो गया था गांव तक मार्ग नहीं होने से एंबुलेंस का सहयोग नहीं मिल पाने के कारण स्थानीय झोलाछाप डॉक्टर से संपर्क कर इलाज के लिए बुलाया गया किंतु गांव में आने के लिए बाइक नहीं पहुंच पाने की समस्या दिखाते हुए गांव के सीमा पर ग्राम सभा बेलहत्थी के आंमी टोला बस्ती तक पुत्र को लाने के लिए कहा जिस पर राजी होकर पुत्र को आंमी टोला बस्ती मे अपने रिश्तेदार के घर पर तक लाया गया जहा झोलाछाप डॉक्टर द्वारा कड़ाके की ठंड के मौसम में बीमार बच्चे को वहीं पर स्थित नाला के बहते हुए ठंडे 3 बाल्टी पानी से स्नान कराया फिर इंजेक्शन लगाते हुए एक सिरफ को पिलाया गया जिससे उसी दौरान बच्चे की मौत हो गई बच्चे की मौत होते ही झोलाछाप डॉक्टर मौके से फरार हो गया।
मार्ग के अभाव मे जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक विभाग के अधिकारियों के संपर्क से दूर स्थित गांव की बात गांव में ही दफन हो गई । हरदेव सिंह ,रामअवतार ,बाबूलाल ,दिलवंती देवी कलावती देवी ,आश सिंह, बुधई ने बताया कि इस गांव में सड़क निर्माण हुआ होता तो एंबुलेंस की सुविधा मिल जाता तो बच्चे का बेहतर इलाज हो जाता है। सरकारी जन सुविधाओं से वंचित अति दुरुह पहाड़ी क्षेत्रों की यह पहली घटना नहीं है पहले भी कई घटनाएं घट चुकी हैं सुविधाओं और संसाधनों के अभाव में दम टूट जाता है ।