वाराणसी

गांव के लोगों को कई वर्षों से आज भी गंदे नालों एवं चुहाड़ का पानी पीने को मजबूर है

सरकार के द्वारा विकास को लेकर भले ही दावा किया जाता है लेकिन जमीनी हकीकत बेहद कड़वी है और यूपी सूबे के लोगों को गंदे नाले वं चुहाड़ का पानी पीने को मजबूर हैं

 

अनिल जायसवाल

डाला सोनभद्र- स्थानीय चोपन ब्लाक के अंतर्गत ग्राम पंचायत कोटा के टोला तिलवाड़ी गडई में पेयजल की समस्या को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा विकास को लेकर भले ही दावा किया जाता है लेकिन जमीनी हकीकत बेहद कड़वी है और यूपी सूबे के लोगों को गंदे नाले वं चुहाड़ का पानी पीने को मजबूर हैं बताते चलें कि ग्राम पंचायत कोटा जो आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र हैं। जहां के आदिवासी ग्रामीण अपनी प्यास बुझाने के लिए दिन-रात लगभग एक से आधा किलोमीटर दूर जाकर पानी के लिए भटकते है और इसके बावजूद भी ग्रामीणों को नाला के पानी से ही प्यास बुझना पड़ता है
एक नज़र गांव पर डालते हैं यह लगभग पैतीस घरो गांव का टोला हैं जहां की कुल जनसंख्या लगभग सौ से अधिक आदिवासी ग्रामीण दशकों से निवास करते चले आ रहे हैं यहां के ग्रामीण वोटर कार्ड धारक के साथ हर चुनाव में वोट देकर एक अहम रोल अदा करते हैं फिर भी इनके समस्या के समाधान की बात आते ही सब हाथ पिछे खिच लेते हैं और मजबूर ग्रामीणों को
उसी गंदे नाले के पानी का सहारा लेना पड़ता है

जानते हैं कि ग्रामीणों ने क्या कहा ग्रामीण हम लोग इस नाले का पानी पीने के साथ घर व रोजमर्रा में उपयोग होने वाले पेयजल की आपूर्ति करतें हैं यही गन्दा पानी पीने से तरह तरह की बीमारियों का शिकार भी होते रहते हैं और हम गरीब जो कमाते हैं वह दवा में ही खर्च हो जाता है हम अपनी तकलीफ सुनाएं तो किसे न
तो प्रधान, बीडीसी और ना ही कोई विधायक मंत्री कोई हम लोगों की सुधि लेनें आता हैं। और चुनाव आते ही सब वादा करते हैं वोट लेने के बाद वादा पूरा करना तो दूर की बात अपनी परछाई भी इस गांव में नहीं पड़ने देते है आखिर में हम गरीब लोग अपनी फरियाद लेकर कहां जाएं कि हम लोगों की समस्या सुनी जा सके।

अब सवाल यह उठता है कि जहां जिले में मंत्री जी भी हो और मंत्री जी के निवास वं कार्यलय से लगभग दश से पंद्रह किलोमीटर दूरी पर यह पहाड़ीयों के बीच बसा तिलवाडी गडई टोला हैं और यहां पहुंचने में लगभग बीस से तीस मिनट ही लगना है लेकिन जिले के जनप्रतिनिधि क्यों अपनी आंखें बंद किए हुए हैं

सूत्रों की मानें तो योगी सरकार ने आदिवासियों के उत्थान के लिए इस जिले में समाज कल्याण राज्य मंत्री भी दिए हैं।अभी अभी म्योरपुर ब्लाक के मकरा गांव में लगभग 40 मौतें का मामला जिले में चल रहा हैं जहां समाज कल्याण मंत्री संजीव गोड़ मकरा गांव में जाकर निरीक्षण भी किया और उन्होंने कहा कि इस गांव में जो अज्ञात बीमारी के कारण मौते हुई हैं या बीमार हैं उसका सबसे बड़ा कारण हैं दूषित पानी पीना ही बताया है।तो फिर तिलवाड़ी गडई टोला के ग्रामीणों जीवन के साथ खिलवाड़ क्यों?

इस दौरान पिंटू नंदलाल मुन्ना बिरेंद्र प्रसाद कृष्णावती देवी अंता अनीता अनीता सुमन सुनीता परमेश्वरी चंदा बछिया कविता फूलवती दिना धनमतीया आदि

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