उत्तर प्रदेश

हिन्दी साहित्य के पुरोधा डॉ रामजीत यादव हुए सेवानिवृt

हिन्दी साहित्य के पुरोधा डॉ रामजीत यादव हुए सेवानिवृt

दुद्धी(रवि सिंह)मातृभाषा हिन्दी के पुरोधा डॉ. रामजीत यादव मंगलवार 30 जून को सेवानिवृत्त हो गये। राजकीय महाविद्यालय के संस्कृति व तहजीब के आइनागार प्रतीक बन चुके डॉ रामजीत यादव( एम ए, एम फील,पी एच डी, बी एड) वर्ष 1990 में राजकीय महाविद्यालय में बतौर प्रवक्ता पदभार ग्रहण किये थे। 

22 जुलाई 1959 को जौनपुर जिले में एक साधारण यदुवंशी परिवार में जन्मे डॉ रामजीत यादव अपने अन्य दो भाइयों में दूसरे नम्बर पर रहे। प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा की तमाम उपलब्धियां इन्होनें जौनपुर से ही ग्रहण किया। 

1982 से 1984 तक ये काशी नागरी प्रचारिणी सभा में विश्व हिन्दी साहित्य कोष विभाग में यह 2 वर्ष तक सह सम्पादक भी रहे। इसी विभाग में प्रथम भाग के प्रकाशन में इनके 11 शोध लेख का प्रकाशित हुआ। इन्होनें 1981 में एम फील,1984 में पी एच डी व 1987 में बी एड किया। 

21 सितम्बर 1984 को केन्द्रीय विद्यालय शक्तिनगर में इन्होनें बतौर शिक्षक पद भार ग्रहण किया। 6 वर्ष के बाद इन्हें राजकीय महाविद्यालय दुद्धी में हिन्दी विभाग के प्रवक्ता के रूप में नई नौकरी मिली जिसे यह स्वीकार कर लिए। केंद्रीय विद्यालय की नौकरी को 20 अगस्त 1990 में त्यागपत्र देकर 21 अगस्त 1990 को इस हिन्दी साहित्य के पुरोधा ने दुद्धी डिग्री कालेज में सेवा प्रारम्भ कर दिया। तत्कालीन प्राचार्य डॉ मोहन सिंह से ज्वायनिंग लेने के बाद पाचवें वर्ष आपका प्रमोशन वरिष्ठ प्रवक्ता के पद पर हुआ। फिर यह अपनी काबिलियत से रीडर,एसो०प्रोफेसर के पद पर प्रोन्नत हुए। वर्ष सत्र 2007-08 व 2011-12 में प्रभारी प्राचार्य का भी दायित्व निर्वहन कर चुके हैं।30 जून 2019 को ही सेवानिवृत्त होने वाले डॉ रामजीत यादव को सरकार द्वारा 1 वर्ष का सत्र लाभ दिया गया। इसप्रकार 21 अगस्त 1990 से प्रारम्भ हुआ सफर आज 30 जून 2020 को विश्राम लिया। हिन्दी का यह दैदीप्यमान नक्षत्र आज महात्मा गांधी काशी विद्या पीठ वाराणसी व वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्विद्यालय जौनपुर में संकाय समिति,विभागीय अध्ययन समिति व शोध समिति के सदस्य भी है।इनके संरक्षण में 3 शोध विद्यार्थी पी एच डी कर रहें हैं। इन्होने 2 पुस्तक भी लिखी है। जिसमे 1-प्रेमचंद के उपन्यासों में सामाजिक व मानव मूल्य

2-जैन चरित्र काव्य व सूफी काव्य का तुलनात्मक अध्ययन।अपने 30 वर्षों के कार्यकाल में आप महाविद्यालय का कोई ऐसा पद नहीं रहा जिसे आपने अपनी कार्यशैली और काबिलियत के आधार पर सुशोभित न किया हो। बात चाहे छात्रसंघ चुनाव की हो या रोवर्स रेंजर्स टीम की, शैक्षणिक यात्रा की या वार्षिक क्रीड़ा समारोह की, संस्थान परिसर में किसी वीआईपी के आगमन की या परीक्षा प्रभारी की, प्रवक्ता से लेकर प्रभारी प्राचार्य तक के सफर की जिम्मेदारी आपने अपने कार्यकाल में बखूबी निर्वहन किया और अनुकरणीय भी रहा। इससे इतर आपकी सबसे बड़ी खासियत यह रही कि महाविद्यालय में आयोजित होने वाली हर कार्यक्रम के साथ-साथ नगर में आयोजित होने वाली कई बहुत ही खास व प्रतिष्ठित कार्यक्रमों की अपनी भाषा शैली, वाक्पटुता और हाजिर जवाबी को अपना विध्वंसक ब्रम्हास्त्र बनाकर लोगों के बीच ऐसी संचालन कर संप्रेषित करते कि लोग कार्यक्रम के मूल उद्देश्य से भटककर आपकी ही संचालन सुनने को आतुर व लालायित रहते। कार्यक्रम व दर्शकों के प्रति आप द्वारा की गई टिप्पणियों में अजीब सम्मोहन सुनाई पड़ता। मन की पवित्रता, व्यहार में निश्छलता और बोली व हाजिरी जबाब आपकी पहचान रही है। महाविद्यालय ही नहीं बल्कि दुद्धी क्षेत्र के हिंदी के इस सबसे दैदीप्यमान नक्षत्र के रिटायरमेंट के बाद जो कमी खलेगी उसकी भरपाई आसान नही होगी। पहली जुलाई से अपने जीवन की नया अध्याय शुरू करने जा रहे श्री यादव को उनके शुभचिंतक शुभकामना दे रहें हैं।

सेवानिवृति के अवसर पर डॉ रामजीत यादव ने कहा कि मैंने हमेशा से कालेज/संस्था का हित चाहा। कभी भी व्यक्तिगत हित की परवाह नही किया। 30 वर्षों के सफर में कुछ ऐसी स्मृतियां हैं जो कभी विस्मृत नही हो सकती।दुद्धी राजकीय महाविद्यालय के हिन्दी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ रामजीत यादव एसो०प्रोफेसर को सेवानिवृत्त होने का प्रमाणपत्र जब कालेज के प्राचार्य डॉ नीलांजन मजूमदार ने दिया तो उनकी भी आंखे नम हो गई। उन्होनें कहा कि डॉ यादव से हमे बहुत सहयोग मिलता रहा।उनकी कमी बहुत खलेगी।इस अवसर पर डॉ रामसेवक यादव,डॉ मिथिलेश गौतम,डॉ विवेकानंद व डॉ रामजीत यादव की धर्मपत्नी भी उपस्थित रहीं।

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